संसद के सोमवार से शुरू हो रहे मानसून सत्र से पहले चीन के साथ सिक्किम सेक्टर में तानातनी और कश्मीर मतभेद का जिक्र करते हुए कांग्रेस ने कहा कि संसद में इन विषयों पर चर्चा होनी चाहिए. कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर पार्टी सरकार के साथ खड़ी है.
सरकार ने सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई और सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के बारे में सहयोग मांगा. बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, एनसीपी के शरद पवार जैसे नेता मौजूद थे. तृणमूल कांग्रेस, जदयू से कोई मौजूद नहीं था. सर्वदलीय बैठक के बाद कांग्रेस ने कहा कि बंदूक कश्मीर में तनाव समाप्त करने का रास्ता नहीं हो सकता है और वह अन्य विपक्षी दलों के साथ कल से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान इस विषय को उठाएगी.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने सरकार को बताया है कि आतंरिक और बाह्य सुरक्षा से जुड़े कुछ संवेदनशील मुद्दे हैं और संसद सत्र के दौरान इन पर चर्चा किए जाने की जरूरत है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने कश्मीर में बातचीत के सभी दरवाजे बंद कर दिए हैं जिससे राजनीतिक घुटन की स्थिति बनी है. बंदूर से कश्मीर में तनाव का समाधान नहीं निकाला जा सकता है. अगर सरकार सोचती है कि कश्मीर में तनाव समाप्त करने का एकमात्र रास्ता बंदूक है तब हम उनके साथ नहीं हैं. राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि पहले जब भी कश्मीर का मुद्दा उठा, उसमें पाकिस्तान के बारे में चर्चा हुई. लेकिन अब हम चीन के बारे में पढ़ और सुन रहे हैं.
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सिक्किम सेक्टर में भूटान के पास चीन के साथ जारी गतिरोध के विषय पर भी चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सरकार के साथ हैं लेकिन आतंरिक एवं बाह्य सुरक्षा के कुछ संवेदनशील मुद्दे हैं और इन पर सत्र के दौरान चर्चा किये जाने की जरूरत है. विपक्षी नेताओं ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों के अलावा विपक्ष मध्य प्रदेश में किसानों से जुड़े मुद्दे, जीएसटी से प्रभावित कपड़ा उद्योग एवं कर्मचारियों की समस्या, असम में बाढ़ की स्थिति जैसे मुद्दों पर भी चर्चा करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार को चर्चा के लिये आगे आना चाहिए और विपक्ष की बात को सुनना चाहिए. आजाद ने कहा कि वे संसद की कार्यवाही में बाधा डालने के पक्ष में नहीं हैं लेकिन सरकार जब उनकी वाजिब मांग पर ध्यान नहीं देती है, तब वे इसके लिये मजबूर हो जाते हैं.