उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले रणनीतिकार प्रशांत किशोर और कांग्रेस पार्टी के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर पार्टी लाइन से अलग काम कर रहे हैं जिसके चलते कांग्रेस नेतृत्व उनसे नाख़ुश है. ऐसे में ये अटकलें भी तेज हैं कि कांग्रेस अपनी रणनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर से रिश्ता तोड़ सकती है. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इन तीन वजहों को लेकर पीके से नाराज चल रहा है.
1. गठबंधन को लेकर गलत संदेश
कांग्रेस पार्टी की राहुल संदेश यात्रा चल रही थी जब अचानक प्रशांत किशोर जेडीयू नेता केसी त्यागी के घर पंहुच गए वो भी तब जब सपा नेता शिवपाल यादव वहां थे. शिवपाल को मुलायम ने दिल्ली में गठबंधन कि संभावना तलाशने के लिए भेजा था. सिलसिला वहीं ख़त्म नहीं हुआ इसके बाद प्रशांत किशोर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह और अमर सिंह से उनके निवास पर मिले और उसके बाद अखिलेश यादव से लखनऊ में मुलाक़ात की. सूत्रों के मुताबिक़ ये पार्टी लाइन से अलग था. कांग्रेस नेतृत्व को इस बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी थी. यही नहीं कांग्रेस यूपी में एकला चलो रे के मॉडल पर काम कर रही थी मगर पीके कि मुलाक़ातों ने पार्टी की मेहनत पर पानी फेर दिया था.
2. प्रियंका गांधी की भूमिका को लेकर मतभेद
दूसरा मसला जिस पर पार्टी और प्रशांत किशोर में मतभेद है वो प्रियंका कि यूपी में भूमिका को लेकर है. पीके के यूपी मॉडल के अनुसार वो प्रियंका को यूपी में धुआंधार तरीक़े से प्रचार कराने के पक्ष में थे. सूत्रों के मुताबिक़ पीके के यूपी मिशन में प्रियंका ही कांग्रेस की नैया पार लगा सकती हैं. मगर कांग्रेस ने ये फ़ैसला प्रियंका पर छोड़ा है और पार्टी नहीं चाहती कि मौजूदा मुश्किल हालातों में चुनाव का सारा बोझ प्रियंका पर पड़े.
3. यूपी के नेता भी पीके से रूठे
जब रीटा बहुगुणा जोशी ने कांग्रेस पार्टी छोड़ी तो उन्होंने इसका ठीकरा पीके के मत्थे फोड़ा. सूत्रों ने बताया की पीके के स्टाइल को लेकर यूपी के नेता संतुष्ट नहीं है. पीके नेताओं से राय लेने के बजाय अपने स्टाइल में काम करते हैं. एक नेता ने कहा कि मुलायम से पीके कि मुलाक़ात कैमरे में क़ैद तस्वीरों ने कार्यकर्ताओं में असमंजस में डाल दिया. कई नेताओं ने इसकी शिकायत कांग्रेस नेतृत्व से भी की. वहीं पिछले कुछ दिनों से राहुल कि संदेश यात्रा कि गति भी धीमी पड़ गई है. ये संकेत कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत अच्छे नहीं है.