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एक दिशा में दौड़ रहे भारत और कांग्रेस, लेकिन विपक्ष चल रहा उल्टी चाल: राहुल गांधी

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बैठक में लोकसभा चुनावों के लिए बिगुल फूंक दिया है. हालांकि हर बार की तरह यूपीए की उपलब्धियों से ही उन्होंने बात शुरू की, लेकिन उनके भाषण में इस बार देश भर से आए पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साह से भर देने का आग्रह ज्यादा था.

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राहुल गांधी
राहुल गांधी

कांग्रेस के चुनाव अभियान का अगुवा घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को लोकसभा चुनावों के लिए बिगुल फूंक दिया. नई दिल्ली में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बैठक में बोलते हुए उन्होंने यूपीए की उपलब्धियों से ही बात शुरू की, लेकिन इस बार उनके भाषण में कार्यकर्ताओं को उत्साह से भर देने की कोशिश कुछ ज्यादा दिखाई दी. उनकी आवाज रोज के मुकाबले ज्यादा तेज और तल्ख थी.

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 राहुल का भाषण का पहला हिस्सा
थोड़ा मैं पहले अंग्रेजी में बोलूंगा, बाद में हिंदी में बोलूंगा.

(अंग्रेजी स्पीच का हिंदी तर्जुमा) मेरे लिए सम्मान की बात है, आप सबसे बात करना. आप इस महान कांग्रेस पार्टी के सिपाही हैं. पिछले साल मैंने आपसे उस आशावाद और ऊर्जा की बात की थी, जो इस देश को बनाता है. पिछले 10 सालों से हमें मनमोहन सिंह के नेतृत्व का गौरव हासिल था. इस दौरान बड़े बदलाव आए देश में. मैं प्रधानमंत्री को बधाई देता हूं.

नहीं भइया थोड़ा जोर से ताली बजाइए. बिल्कुल कल सोनिया जी के लिए भी तालिया बजाइए. आप हमारी शक्ति हो.

(अंग्रेजी स्पीच का अनुवाद) हमने लोकतंत्र की नींव मजबूत कर इस देश की सेवा की है. हमने लोगों की ताकत बढ़ाने के लिए क्या क्या किया. आरटीआई लाए. दुनिया में हर कोई कहता है, सूचना ताकत है. हमने ये ताकत लोगों को दी.इसके लिए हमारे ऊपर किसी का दबाव नहीं था. हमें पता था कि हमारी अपनी सरकारें निगरानी में आएंगी. फिर भी क्या.

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हमने आधार कार्ड शुरू किया, ताकि आप तक सीधे पैसा पहुंच सके. ये छोटी बात नहीं है. राजीव गांधी जी 15 पैसे की बात करते थे. हम पहली ऐसी सरकार हैं, जिसने पैसा सीधे आपके अकाउंट में पहुंचाया. ये पूरी दुनिया में बना सबसे बड़ा एंटी करप्शन प्लेटफॉर्म है.

पंचायती राज की बात करते हैं. मेरे साथी जो इसके लिए चिंतित रहते हैं मणिशंकर अय्यर जी, कहां हैं. मणिशंकर अय्यर के लिए आप लोग तालियां बजाइए.

ये राजीव गांधी जी का सपना था. नरेगा क्या है. राइट टु फूड क्या है. देश के गरीबों के हाथ में दी जा रही ताकत है. पहले सरकार के तीन-चार लोग फैसला लेते थे.

अब कोई गरीब आदमी को नौकरी और खाने के लिए मना नहीं कर सकता. अब कोई किसी भारतीय को सवाल पूछने से नहीं रोक पाता. ये यूपीए और कांग्रेस ने पिछले 10 साल में किया.

एक भी ऐसा कदम नहीं, जो कांग्रेस ने देश की बेहतरी के लिए न उठाया हो. चाहें अंग्रेजों से लड़ना हो, चाहे बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो. चाहे टेलीकॉम क्रांति हो. ये सब हमने किया.

अब हमारा लक्ष्य है, इस लोकतंत्र को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना. यहां सांसद हैं. कुछ युवा हैं, कुछ नहीं हैं. यहां विधायक हैं. सब दिल से युवा हैं. आपका काम नीति-निर्धारण करना है. यह महान दायित्व है. हम वापस आपकी आवाज सुनना चाहते हैं. आज कानून जज, मीडिया और सड़कों पर उतरे लोग बना रहे हैं. हम आपको इस प्रक्रिया में वापस लाना चाहते हैं.

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मत भूलिए. सांसद, विधायक और प्रधान, इस देश के लोगों का सही मायनों में प्रतिनिधित्व करते हैं. मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं. आज के सिस्टम में आपके पास क्या ताकत है.

लोकतंत्र एक आदमी की सत्ता नहीं है. ये ताकत के बंटवारे से, जिम्मेदारी के बंटवारे से आता है.

मुझे वहां सांसद दीपेंदर हुड्डा अपना सिर हिलाते नजर आ रहे हैं. हम संसद में इसकी बात करते हैं. आज सांसद कानून बना ही नहीं पा रहे हैं.

पर सबसे ज्यादा आवाज किसकी सुनी जानी है. ये सबसे ज्यादा जरूरी है. ये आपकी आवाज है. ये कांग्रेस वर्कर की आवाज है, जो अपना खून पसीना और जीवन देता है. इसे सुना जाना जरूरी है. आम आदमी राजनीति में आसानी से आ सके. ये हम चाहते हैं. हम ये बदलाव चाहते हैं. अब तक ये मुमकिन नहीं था.

ये सिर्फ एक चुनाव नहीं है, जो जीता या हारा जाएगा. ये देश के इतिहास का एक निर्णायक मौका है. अब कोई समझौते के मूड में नहीं है. हर शख्स भागीदारी चाहता है और उन्हें इसका हक है. यही सच है. या तो हम उनकी आकांक्षाओं पर खरा उतरें, या खारिज हो जाएं.

सवाल ये नहीं है कि हम बदलेंगे या नहीं. सवाल ये है कि हम कब और कैसे बदलेंगे. एक राजनीतिक दल के रूप में हमें ऐसे बड़े बदलाव लाने हैं, जिन्हें सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही कर सकती है. हम दूसरों की तरह हर गलती के बारे में शिकायती लहजा नहीं अपना सकते. हमें समाधान बनाना होगा. हमें सरलीकरण का शिकार होकर वादों की लॉलीपॉप नहीं थमानी है. हम लगातार संसद के सत्र बाधित नहीं करते, हम सांप्रदायिक तनाव नहीं फैलाते, हम एक व्यक्ति के हाथ में सत्ता सौंपने की वकालत नहीं करते. कांग्रेस पार्टी शांतिपूर्ण संवैधानिक तरीकों की बात करती है, जिनके जरिए ये देश बना.

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ये दिलचस्प है कि भारत और कांग्रेस एक दिशा में जा रहे हैं और विपक्ष उसके उलट दिशा में चल रहा है. लोग ईमानदार सरकार चाहते हैं. हम लोकपाल बिल लाते हैं. हर कोई तमाशा बनाता है. शोर मचाता है. किसने पारित किया ये कानून. कांग्रेस ने किया. और हम वहीं नहीं रुके. हमने आपको आरटीआई दिया. लोकपाल दिया. कुछ और भी देना चाहते हैं. संसद में 6 बिल लंबित है. विपक्ष साल दर साल सदन बाधित कर रहा है. हम सरकार को कुछ देना चाहते हैं. वे हमें रोक रहे हैं. कांग्रेस पार्टी ये तय करेगी कि अब ये न हो सके.

यहां तक राहुल अंग्रेजी में बोले. इसके बाद उन्होंने हिंदी में अपनी बात शुरू की.

पढ़िए आगे का भाषण

राहुल के भाषण की 10 अहम बातें और उनके मायने

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