ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा शुरू किए गए 'प्राइमरी प्रोजेक्ट' पर से पार्टी का भरोसा उठ गया है. खबर है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस इस प्रोजेक्ट को फिर से लागू करने के मूड में नहीं है. यह खबर अंग्रेजी अखबार 'हिंदुस्तान टाइम्स' ने दी है.
इस साल के अंत में जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. दिल्ली में भी राष्ट्रपति शासन लागू है, राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए यहां भी चुनाव होने की संभावना प्रबल है.
आपको बता दें कि राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों के लिए 16 सीटों पर अंदरूनी चुनाव के जरिए पार्टी प्रत्याशी चुनने का फैसला किया था. राहुल का मकसद पार्टी से हाईकमान कल्चर खत्म करना था हालांकि यह प्लान पूरी तरह से फेल हो गया. इन 16 चुने गए प्रत्याशियों में से एक भी चुनाव नहीं जीत सका.
उस वक्त राहुल गांधी के इस प्लान का पार्टी के अंदर भी विरोध हुआ था. कुछ सीटों पर टिकट बंटवारे के बाद खुली बगावत तक देखी गई थी. प्राइमरी प्रोजेक्ट को लागू करते वक्त राहुल गांधी ने कहा था, 'अगर यह सफल होता है. आने वाले दिनों में पार्टी कार्यकर्ता अपना उम्मीदवार चुन सकेंगे', पर अब ऐसा होगा इसकी संभावना बेहद कम है.
राहुल की इस रणनीति का कपिल सिब्बल और कृष्णा तीरथ ने भी विरोध किया था, उस वक्त दोनों ही दिल्ली से सांसद थे. विरोध के बाद पार्टी ने उनकी सीटों पर प्राइमरी चुनाव नहीं कराने का फैसला किया, फिर भी वे हार गए.