लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों में लगातार मिलती हार के बाद मंगलवार को सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई. इसमें पार्टी के संविधान और ढांचे में बड़े पैमाने पर बदलाव के लिए चर्चा हुई. मगर कोई फैसला नहीं हुआ. कहा गया कि जिला स्तर के कार्यकर्ताओं की राय लेने के बाद ही चीजें फाइनल की जाएंगी. कांग्रेस अपने संगठन में जाति आधारित आरक्षण पर भी विचार कर रही है.
कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी के मुताबिक कार्यकर्ताओं से यह फीडबैक भी लिया जाएगा कि क्या पार्टी संगठन में भी एससी, एसटी, ओबीसी, माइनॉरिटी को तयशुदा आरक्षण के जरिए जगह दी जाए. उधर, सुबह से अटकलें थीं कि पार्टी में राहुल गांधी की नई भूमिका तय होगी. मगर पार्टी महासचिव ने प्रेस से बात करते हुए साफ किया कि राहुल को लेकर एक शब्द भी चर्चा नहीं हुई.
कांग्रेस महासचिव के मुताबिक बैठक में कार्यकर्ताओं से नए सिरे से संपर्क करने, पार्टी का संगठन बढ़ाने और ढांचे की नए सिरे से व्यवस्था करने पर बात हुई. इसके लिए पार्टी संविधान में भी बदलाव किए जाएंगे. द्विवेदी के मुताबिक बदलाव के पक्ष और विपक्ष में तर्क आए हैं. इसके बाद तय हुआ कि जिला और प्रदेश स्तर के नेताओं और कार्यकर्ताओं से राय ली जाएगी. उसके बाद ही संशोधन पर आखिरी फैसला होगा.
इसके अलावा नए सदस्य बनाने के लिए पारंपरिक फोटो चिपकाकर कागज पर फॉर्म भरवाने के अलावा डिजिटल तरीके भी अपनाए जाएंगे. संगठन देखेगा कि इसका तरीका क्या हो.
मीटिंग में इस पर भी चर्चा हुई कि कार्यकर्ता की कैटिगरी क्या हो. पहले कांग्रेस में दो साल के लिए साधारण कार्यकर्ता बनाए जाते थे. फिर ये ऑटोमैटिकली एक्टिव मेंबर माने जाते थे. इन मेंबर्स को 25 साधारण कार्यकर्ता बनाने पड़ते थे. संगठन ने यह माथापच्ची की कि इस पुराने नियम को वापस लाया जाए या नए ढंग से सभी को सामान्य कार्यकर्ता बनाया जाए.
इसके अलावा संगठन ने इस पर भी मंथन किया कि यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई, सेवा दल, महिला कांग्रेस की अलग सदस्यता हो या फिर सभी पार्टी सदस्य बनें और अपनी उम्र, लिंग और रुचि के हिसाब से काम करे.
संगठन के अलावा राजनीतिक चर्चा के दौरान कांग्रेस ने मोदी सरकार की हर मुमकिन मुद्दे पर आलोचना की. उसे अध्यादेशों की आड़ में चलने वाली निरंकुश सरकार बताया.
CWC की बैठक में लगातार सिमटते जनाधार के कारणों पर मंथन हुआ. इसमें लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लगातार बदतर प्रदर्शन पर चिंता जताई गई. पार्टी नेतृत्व ने एक सुर में यह बात मानी है कि देश भर में कांग्रेस के खिलाफ गुस्सा था, न सिर्फ जनता में बल्कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में भी. संगठन में बदलाव पर चर्चा भी हुई.