कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक 10 अगस्त को पार्टी मुख्यालय में होगी. कांग्रेस महासचिव प्रभारी (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने इस बात की जानकारी दी है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर चर्चा हो सकती है.
कांग्रेस की इस बैठक पर सभी की निगाहें टिकी हैं, माना जा रहा है कि इसी बैठक में पार्टी के अगले अध्यक्ष पर फैसला हो सकता है.
It has been decided to hold the next Congress Working Committee Meeting on saturday, 10th of August 11am at AICC.@INCIndia @AICCMedia
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) August 4, 2019
न्यूज़ एजेंसी IANS के मुताबिक, कांग्रेस में जारी मौजूदा संकट के बीच राहुल गांधी इस बात पर अड़े हुए हैं कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नहीं बनेगा, जबकि उनकी बहन प्रियंका गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है. पार्टी के वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच जारी जोर-आजमाइश के बीच कांग्रेस नेतृत्वविहीन बनी हुई है.
पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में मजबूती से खड़े हैं, जबकि युवा नेताओं का एक वर्ग राहुल गांधी की योजना का समर्थन कर रहा है. राहुल भले ही परिवार के किसी सदस्य को अध्यक्ष बनाए जाने के खिलाफ हैं, लेकिन प्रियंका के सोनभद्र शो ने पार्टी और पार्टी से बाहर कई लोगों के दिल जीत लिए हैं. सोनिया गांधी के इर्द-गिर्द रहने वालों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में प्रियंका के हस्तक्षेप के बाद उन्हें एक विजेता मिल गया है. लेकिन राहुल को यह स्वीकार्य नहीं है.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने प्रियंका का समर्थन किया है.
अमरिंदर सिंह ने कहा कि प्रियंका गांधी बिल्कुल उचित विकल्प होंगी, लेकिन निर्णय कांग्रेस कार्यकारिणी को लेना है. उन्होंने कहा, "प्रियंका अगले अध्यक्ष के लिए एक शानदार विकल्प हैं, जिन्हें सभी का समर्थन मिलेगा. शशि थरूर से सहमत हूं कि उनका स्वाभाविक करिश्मा कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को समान रूप से प्रेरित करेगा. आशा है सीडब्ल्यूसी इस पर जल्द फैसला करेगा."
प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार के खिलाफ पूरी तरह सक्रिय हैं. वह हर रोज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ हमले बोल रही हैं.
कई नेताओं के अनुसार, कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी से पार्टी का नुकसान हो रहा है, जो फिलहाल अध्यक्ष विहीन है. नेता न होने से लोगों के मन में संदेह पैदा हुआ है और हाईकमान से राज्य नेतृत्व को स्पष्ट दिशानिर्देश न मिलने के कारण ही कांग्रेस एक महत्वपूर्ण दक्षिणी राज्य कर्नाटक को गंवा बैठी है.