हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को गोहत्या पर राष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था करने के आदेश जारी किए हैं.
कोर्ट ने कहा कि गोवध, गोवंशियों के आयात-निर्यात और गोमांस व गोमांस से बने उत्पादों को प्रतिबंधित करने वाले कानून को देशभर में प्रभावी रूप से लागू करने विचार किया जाए. हाईकोर्ट ने इसके लिए केंद्र सरकार को तीन महीने का वक्त दिया है.
न्यायाधीश राजीव शर्मा और सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि भारतीय संविधान सभी धर्मों को एक समान आदर करने की गारंटी देता है. अदालत ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान का मूल आधार है. हमारे देश का संविधान इस बात की अनुमति नहीं देता है कि किसी भी व्यक्ति के धर्म से जुड़ी भावनाओं को आघात पहुंचाया जाए.
न्यायालय ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद-25 का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया कि गायों, बैलों और बछड़ों के बीफ के लिए उनके मांस के आयात और निर्यात की कानून अनुमति नहीं दे सकता. इसके अलावा न्यायालय ने केंद्र सरकार को आदेश दिए कि वह राज्य सरकार को लावारिस पशुओं के रख-रखाव और उनके चारे के लिए उपयुक्त धन का हस्तांतरण करने का निर्देश दे.
मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2016 को होगी. गोवंशी पशुओं के संरक्षण के लिए तीन महीनों के भीतर प्रभावी नीति बनाने के भी आदेश जारी किए गए हैं. न्यायालय ने इनके लिए केंद्र सरकार के संबंधित सचिव को अनुपालना शपथ पत्र दायर करने के निर्देश जारी किए.
गौरतलब है कि हिमाचल में आवारा पशुओं को लेकर भारतीय गोवंश रक्षण संवर्धन परिषद ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद कोर्ट ने यह निर्देश जारी किए.