एक बार फिर फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) लाइसेंस जारी करने का रहस्यमय मामला सामने आया है. इसमें गृह मंत्रालय ने पहले लाइसेंस दिया, फिर उसे निरस्त कर दिया, इसके बाद ऐसे एनजीओ के लाइसेंस का फिर से रीन्यूअल भी हो गया. ऐसा हाल के महीनों में कम से कम चार बार हो चुका है. अब गृह मंत्रालय को यह संदेह है कि उसके कंप्यूटरों को हैक कर लिया गया है.
सीईआरटी से मांगी मदद
यह मामला तब प्रकाश में आया जब तीन एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस को निरस्त करने के बाद हाल में उसे ऑनलाइन रीन्यू कर दिया गया. गृह मंत्रालय ने अपने ऑनलाइन सिस्टम की जांच के लिए कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम इंडिया (सीईआरटी) से मदद मांगी है. यही नहीं, गृह मंत्रालय ने 13,000 एनजीओ के लाइसेंस रीन्यूअल की जांच करने का आदेश दिया है.
गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने कहा, ' यदि कोई हैकिंग हुई है, तो इसमें हमारी तरफ से कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिए मंत्रालय द्वारा सुधार के उपाय किए जा रहे हैं, हर चीज ऑनलाइन है, कई एनजीओ एफसीआर नियमों का उल्लंघन करते हुए पाए गए हैं. इन सबकी एक व्यापक जांच होनी चाहिए.' गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'यह कोई साधारण सिस्टमेटिक गलती नहीं हो सकती कि सभी विवादास्पद एनजीओ को रीन्यूअल मिलता जा रहा है. इसमें कुछ तो गड़बड़ है और अंदर के किसी आदमी का हाथ होने से इंकार नहीं किया जा सकता.
तीस्ता के एनजीओ और ग्रीनपीस के लाइसेंस का भी हुआ रीन्यूअल
मंत्रालय ने एक उच्चस्तरीय आंतरिक जांच शुरू की है कि आखिर तीस्ता सीतलवाड़ के सबरंग ट्रस्ट और ग्रीनपीस इंडिया जैसे विवादास्पद एनजीओ के लाइसेंस कैसे रीन्यू किए गए, जबकि मंत्रालय इनके लाइसेंस रद्द कर चुका था. इसी तरह तीस्ता के एक और एनजीओ सिटिजन फॉर जस्टिस ऐंड पीस (सीजेपी) को पूर्व अनुमति वाले कैटेगरी में रखा गया था, यानी रीन्यूअल के लिए वह पात्र नहीं थी, लेकिन गृह मंत्रालय को पता चला कि पिछले साल अगस्त में इन तीनों एनजीओ के लाइसेंस को ऑनलाइन रीन्यू कर दिया गया. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'ऑनलाइन पोर्टल में ऐसी व्यवस्था है, जिससे जूनियर अधिकारी भी किसी एनजीओ को लाल निशान के दायरे से बाहर कर सकता है, इसलिए हम इस व्यवस्था में आमूल बदलाव करने जा रहे हैं, जिससे केवल संयुक्त सचिव स्तर के लोग ही लाल निशान वाले एनजीओ को मंजूरी दे सकें.'