scorecardresearch
 

गांधी जी ने गोली लगने पर 'हे राम' नहीं 'हाय राम' कहा था!

पंजाब के युवा हिन्दी उपन्यासकार डॉक्‍टर अजय शर्मा ने अपने नये उपन्यास ‘भगवा’ में दावा किया है कि कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या करने के लिए जब नाथूराम गोडसे ने उन्हें गोली मारी थी तो उन्होंने ‘हे राम’ नहीं ‘हाय राम’ कहा था.

Advertisement
X
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी

Advertisement

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गोली लगने के बाद मृत्यु से पहले उनके अंतिम शब्दों को लेकर एक उपन्यास के कारण विवाद शुरू हो गया है. हालांकि अधिकतर वरिष्ठ लेखकों एवं समीक्षकों का मानना है कि उपन्यास में इन शब्दों को लेकर जो दावा और परिकल्पना की गयी है, उसका कोई वास्तविक आधार नहीं है.

पंजाब के युवा हिन्दी उपन्यासकार डॉक्‍टर अजय शर्मा ने अपने नये उपन्यास ‘भगवा’ में दावा किया है कि कि राष्ट्रपिता की हत्या करने के लिए जब नाथूराम गोडसे ने उन्हें गोली मारी थी तो उन्होंने ‘हे राम’ नहीं ‘हाय राम’ कहा था. वैसे इस उपन्यास के लेखक भी यह बात स्वयं मानते हैं कि उन्होंने अपनी इस कृति के जरिये जो परिकल्पना दी है उसकी पुष्टि में कोई ठोस तथ्य नहीं है.

जालंधर निवासी डॉक्‍टर अजय शर्मा कई उपन्यास लिख चुके हैं. उनकी किताबें पंजाब के विभिन्न विश्वविद्यालयों में हिंदी के स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं. उनका नया उपन्यास ‘भगवा’ प्रकाशनाधीन है, हालांकि यह उपन्यास एक त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका के ताजा अंक में छप कर आया है.

Advertisement

भगवा में यह कहा गया, ‘गांधी जी ने मरने से पहले हे राम कहा था लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि जब किसी को चोट लगती है वह तो हे नहीं हाय कहता है. जब किसी के शरीर में गोली लगती है तो व्यक्ति दर्द से चीखता है और ऐसे में उसके मुंह से हे नहीं हाय निकलता है. हे राम निकलना तो बहुत ही मुश्किल है.’ उपन्यास में लेखक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता के बीच की चर्चा दौरान का यह प्रसंग है. संघ के कार्यकर्ता के हवाले से इसमें यह भी लिखा गया है कि कुछ सियासी लोगों ने इसे महिमा मंडित करते हुए कह दिया कि गांधीजी के मुंह से हे राम निकला था.

इस बारे में डॉक्‍टर अजय शर्मा ने कहा, ‘मैं पेशे से एक चिकित्सक हूं, मैने देखा है कि किसी को हल्की भी चोट आये तो उसके मुंह से हाय या उफ्फ की आवाज आती है.’

गांधीवादी तथा एक अन्य प्रसिद्ध महिला साहित्यकार ने कहा, ‘इसमें कोई दो राय नहीं कि शर्मा एक अच्छे लेखक हैं लेकिन ऐसा लिख कर उन्होंने विवाद पैदा करने की कोशिश की है. यह शर्मा का अपना मत हो सकता है लेकिन इसमें सचाई नहीं है. गांधीजी ने मरते समय क्या कहा था यह वहां मौजूद लोग ही बता सकते हैं. अनुमान के आधार पर इस बारे में कुछ नहीं कहा जाना चाहिए.’

Advertisement

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉक्‍टर हरमिंदर सिंह बेदी ने कहा, ‘हे राम, भक्ति और आत्मानुभूति की अभिव्यक्ति का सूचक है जबकि हाय राम कष्ट की अभिव्यक्ति का परिचायक है. अब गोली लगने के बाद निश्चित तौर पर कष्ट ही होता है ऐसे में ‘भगवा’ के माध्यम से लेखक ने एक बेहतर सवाल उठाया है जो शोध का विषय है.’ बेदी ने कहा कि गांधीजी के पास हर वर्ग और समुदाय के लोग जाते थे. इसलिए वह किसी एक धर्म या समुदाय के व्यक्ति नहीं थे. भगवा का लेखक दरअसल ‘हे राम’ और ‘हाय राम’ में अंतर दिखाना चाहते हैं क्योंकि ‘हे राम’ का हवाला देकर कुछ सियासी दल इसका लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं जबकि गांधीजी सबके थे. किसी खास समुदाय या वर्ग के नहीं.

उपन्यास के लेखक शर्मा ने यह भी कहते हैं, ‘गांधीजी राम और रहीम दोनों की पूजा करते थे. ऐसे में मरते वक्त रहीम का नाम कहां रह गया. यह एक ज्वलंत प्रश्न है. हे राम कहने वाली बात भी पूरी तरह प्रासंगिक नहीं है और अगर ऐसा कहा गया था तो यह साबित होता है कि वह धर्मनिरपेक्ष नहीं थे.’

Advertisement
Advertisement