भारत में बुधवार, 29 अप्रैल को कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या 30,000 के पार हो गई. 30 अप्रैल की दोपहर तक भारत में कुल 33,610 मामले सामने आ चुके हैं और 1,075 मौतें हो चुकी हैं. यह आंकड़ा दुनिया में 16वां और एशिया में चौथा सबसे ज्यादा है.
कोरोना वायरस अथवा Covid-19 महामारी की शुरुआत दिसंबर, 2019 में चीन के वुहान से हुई थी. इंडिया टुडे की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने यह विश्लेषण किया भारत, जो कि अब कोरोना संक्रमण के मामले में चीन के काफी करीब है, इस महामारी से निपटने में एशियाई देशों के बीच कहां खड़ा है.
यह तुलना चार मापदंडों पर की गई है- कोरोना मामलों में वृद्धि की गति, मौतों में वृद्धि की गति, रिकवरी यानी मरीजों के ठीक होने की दर और टेस्ट पॉजिटिव होने की दर.
मामलों में वृद्धि की गति
एशिया में 12 देश ऐसे हैं जहां कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 10,000 से ऊपर है. तुर्की, ईरान और चीन के बाद भारत चौथे स्थान पर है जहां 33,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं.
पिछले एक सप्ताह में जिस गति से कोरोना के मामलों दोगुने हुए हैं, उनकी तुलना करने पर भारत एशिया में पांचवें स्थान पर है. पिछले दिनों में भारत में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या दोगुनी होने में 11.4 दिन लगे.
कतर में कोरोना के मामले 8 दिन में दोगुने हुए, जो कि 12 देशों में सबसे तेज गति है. सऊदी अरब में दोगुना होने में 8.6 दिन लगे. सिंगापुर में दोगुना होने की गति 9 दिन है. सिंगापुर के महामारी को एक बार सफलतापूर्वक नियंत्रित करने के बाद वहां संक्रमण का दूसरा दौर चल रहा है.
दक्षिण कोरिया पहला ऐसा देश है जहां पर कठोर लॉकडाउन उपायों के बगैर भी कोरोना वायरस को नियंत्रित किया गया. यहां पर कोरोना के मामले दोगुना होने में लगभग 646 दिन या दो साल का समय लग रहा है. चीन से यह महामारी फैली थी और उसने अप्रैल की शुरुआत में ही इस पर काबू पा लिया. वहां पर अब कोरोना मामलों के दोगुना होने की गति 10 साल है.
टेस्ट पॉजिटिव होने की दर
वर्ल्डोमीटर के आंकड़ों के मुताबिक भारत ने 7.7 लाख टेस्ट किए हैं जो कि संयुक्त अरब अमीरात (11.2 लाख) और तुर्की (9.48 लाख) के बाद तीसरा नंबर है.
भारत की बड़ी आबादी के मद्देनजर यह संख्या कुछ नहीं है अगर इसे प्रति मिलियन के पैमाने पर देखा जाए. भारत में फिलहाल कोविड-19 मामलों के क्लस्टर्स हैं, समय पर लागू किए गए सख्त लॉकडाउन की वजह से स्थिति अभी तक सामुदायिक संक्रमण तक नहीं पहुंची है. इसके अलावा भारत इसे नियंत्रित करने के लिए टेस्टिंग की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है.
DIU ने एशियाई देशों में जहां 1,000 से अधिक केस हैं, उनकी टेस्टिंग पॉजिटिव दर (प्रतिशत में) का विश्लेषण किया और अलग-अलग नतीजे सामने आए.
टेस्ट पॉजिटिव दर (TPR), कुल पॉजिटिव केस और जितने टेस्ट किए गए हैं, उनका अनुपात है. प्रति दस लाख पर टेस्टिंग कम होने के साथ भारत की टेस्ट पॉजिटिव दर यानी टीपीआर 4 प्रतिशत है. एशिया में 1000 के ज्यादा केस वाले 26 देशों में भारत की टीपीआर 12वें नंबर पर है. तीन देशों- हांगकांग (0.7), उज्बेकिस्तान (0.8) और यूएई (0.95) की टीपीआर 1 प्रतिशत से भी कम है.
क्रॉस सेक्शनल डाटा विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि आक्रामकता के साथ टेस्ट से जरूरी नहीं है कि टीपीआर ज्यादा ही होगा. उदाहरण के लिए यूएई प्रति दस लाख पर 1.1 टेस्ट कर रहा है और उसका टीपीआर 0.95 प्रतिशत है. कतर में प्रति दस लाख पर टेस्टिंग 30,000 है लेकिन टीपीआर 13.45 प्रतिशत है.
जहां जांच करने की दर कम है, वहां भी ऐसा ही है. भारत प्रति दस लाख पर 559 लोगों की जांच कर रहा है और टीपीआर 4 प्रतिशत है, जबकि इंडोनेशिया प्रति दस लाख पर 291 टेस्ट कर रहा है और उसका टीपीआर भारत का दोगुना है.
DIU यह स्थापित नहीं कर सका कि टेस्टिंग और पॉजिटीविटी रेट के बीच कोई संबंध है.
मौतों में वृद्धि की गति
भारत में अब तक 1,075 मौतें हो चुकी हैं. एशिया में ईरान (5,877), चीन (4,633) और तुर्की (2,992) के बाद यह चौथी सबसे ज्यादा संख्या है. 10,000 से अधिक मामलों वाले देशों में, कतर, सिंगापुर और यूएई में 30 अप्रैल की सुबह तक 100 से कम मौतें हुई हैं.
जिस गति से भारत में मौतों की संख्या दोगुनी हुई, वह जापान के साथ एशिया में तीसरी सबसे तेज गति है. यूएई में हर 6.6 दिन में मौतें दोगुनी हो रही हैं, इसके बाद पाकिस्तान (8.3) का स्थान आता है. भारत और जापान में मौतों की संख्या 10.6 दिनों में दोगुनी हो गईं. संयोग से, जापान सबसे लंबे समय तक लॉकडाउन से बचता रहा, अब वहां कोविड-19 से मौतों में उछाल देखा जा रहा है.
इस मामले में भी चीन और दक्षिण कोरिया अन्य एशियाई देशों पर बढ़त बनाए हुए हैं. दक्षिण कोरिया में मौतों की संख्या दोगुना होने में 144 दिन लग रहे हैं और चीन में लगभग 53 साल (19,283 दिन).
रिकवरी का प्रतिशत
10,000 से अधिक मामलों वाले 12 देशों में से केवल चार में रिकवरी रेट यानी मरीजों के स्वस्थ होने की दर 50 प्रतिशत से अधिक है. चीन में लगभग 94 फीसदी मरीज रिकवर हुए हैं, जबकि दक्षिण कोरिया में यह 83 फीसदी, ईरान में 78 फीसदी और इजरायल में 50 फीसदी है.
लगभग 34 फीसदी मरीजों के रिकवर होने साथ तुर्की 5वें नंबर पर है और भारत 25 फीसदी की रिकवरी रेट के साथ 6वें नंबर पर है. कतर और सिंगापुर में 30 अप्रैल की सुबह तक सबसे कम रिकवरी रेट है- क्रमशः 10 प्रतिशत और 7 प्रतिशत.
DIU ने यह भी पाया कि जिन देशों में वायरस जल्दी पहुंचा, जैसे कि चीन, दक्षिण कोरिया, ईरान और इज़राइल में रिकवरी रेट ज्यादा है जबकि जहां Covid-19 के मामले बाद में सामने आने शुरू हुए वहां रिकवरी रेट कम है.