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कोरोना महामारी का असर, नई कंपनियों के पंजीकरण में भारी गिरावट

एमसीए के आंकड़ों से पता चलता है कि नई कंपनियों के पंजीकरण में तेज गिरावट इस साल फरवरी से शुरू हुई और अगले दो महीनों में कोविड-19 के प्रसार के साथ इस गिरावट में तेजी आई.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (ANI)
प्रतीकात्मक तस्वीर (ANI)

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  • कोरोना की अनिश्चितता के कारण आश्वस्त नहीं उद्यमी
  • महामारी से हर व्यवसाय पर पड़ा है प्रतिकूल प्रभाव

अर्थव्यवस्था पर कोरोना के प्रभाव का पहला स्पष्ट संकेत है कि फरवरी, 2020 से नई कंपनियों के पंजीकरण में भारी गिरावट आई है. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) के आंकड़ों से पता चलता है कि अधिकांश उद्यमियों ने ऐसी पूंजी रोक ली है, जिन पर जोखिम हो सकता है और नए उपक्रमों में निवेश करने में संकोच कर रहे हैं.

अप्रैल, 2020 में एमसीए में कुल 3,209 नई कंपनियां पंजीकृत हुईं. अप्रैल, 2019 में 10,383 पंजीकृत हुई थीं, यानी पिछले साल की तुलना में देखें तो नई कंपनियों के रजिस्ट्रेशन में यह 70 प्रतिशत की गिरावट है.

एमसीए के आंकड़ों से पता चलता है कि नई कंपनियों के पंजीकरण में तेज गिरावट इस साल फरवरी से शुरू हुई और अगले दो महीनों में कोविड-19 के प्रसार के साथ इस गिरावट में तेजी आई. मार्च में जब पहले लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, नई कंपनियों का पंजीकरण घटकर 5,788 हो गया. अगले महीने यह संख्या घटकर 3,209 रह गई यानी 45 फीसदी की गिरावट आई.

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इसी तरह, अपेक्षाकृत कम रेग्युलेटरी जवाबदेही के लिए जाना जाने वाला एक वैकल्पिक कॉर्पोरेट ढांचा 'लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप' (एलएलपी) में भी गिरावट देखी गई है. अप्रैल, 2019 में एमसीए में कुल 4,186 एलएलपी पंजीकृत किए गए. हालांकि, कोरोना से जुड़ी अनिश्चितताओं ने अप्रैल, 2020 में यह संख्या घटाकर 574 कर दी- पिछले साल इसी अवधि की तुलना में यह 86 प्रतिशत कम है.

हालांकि, एमसीए ने दावा किया है कि उसने नियमों में ढील दी है, लेकिन आंकड़ों से जाहिर है कि उद्यमी अब भी आश्वस्त नहीं हैं.

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एमसीए के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने अपने मासिक बुलेटिन में कहा, “कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कॉरपोरेट्स के सामने आने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. लॉकडाउन के बावजूद, मानेसर स्थित सेंट्रल रजिस्ट्री सेंटर नई स्थापना, नाम रिजर्वेशन आदि के लिए चालू हो गया है.”

हर व्यवसाय पर पड़ रहा प्रतिकूल असर

महामारी लगभग हर व्यवसाय पर प्रतिकूल असर डाल रही है. इस कारण कंपनियों और उनके फाइनेंसरों को भारी राजस्व हानि का सामना करना पड़ रहा है. आपूर्तिकर्ता, निर्माता और फाइनेंसर समान रूप से नकदी प्रवाह के लिए अल्पकालिक समाधान की व्यवस्था करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अर्थव्यवस्था में चारों ओर आशंकाएं व्याप्त हैं और कोई भी नए उद्यम में निवेश नहीं करना चाहता है.

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नए उद्यम में निवेश करना नहीं चाहते

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष अमरजीत चोपड़ा ने इंडिया टुडे को बताया, “नकदी संरक्षण को लेकर एक सामान्य (असुरक्षा की) भावना है. अधिकांश लोग इस समय अपने पैसे किसी नए उद्यम में निवेश नहीं करना चाहते हैं. यह अनिश्चितता कम से कम अगले कैलेंडर वर्ष की शुरुआत तक जारी रहने की संभावना है और उसके बाद ही स्पष्टता आएगी.”

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अप्रैल, 2020 तक कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत लगभग 20 लाख कंपनियां एमसीए में पंजीकृत हैं. इनमें से लगभग 12 लाख कंपनियां सक्रिय हैं, बाकी या तो बंद हैं या बेची जा चुकी हैं.

अधिकांश आर्थिक केंद्र, खासकर नई कंपनियां, कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. दिल्ली और मुंबई भारत के सबसे बड़े कोरोना वायरस हॉटस्पॉट हैं, जहां पिछले एक साल में लगभग 20 प्रतिशत नई कंपनियां और एलएलपी स्थापित हुई हैं.

एफडीआई में भी अनिश्चितता

नई कंपनियों का पंजीकरण रुकने का एक बड़ा कारण है कि विदेशी कंपनियों के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में भी अनिश्चितता आई है. व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने हाल ही में अपनी वैश्विक निवेश रिपोर्ट 2020 (https://unctad.org/en/Pages/DIAE/World%20Investment%20Report/Annex-Tables.aspx) में कहा था कि 2019 के 1.54 ट्रिलियन डॉलर की तुलना में एफडीआई इस वर्ष 40 प्रतिशत तक नीचे आएगी.

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लंबे समय तक चले लॉकडाउन जैसे कोरोना-संबंधी उपायों ने कई कंपनियों, खासकर नई कंपनियों को अपनी मौजूदा और भविष्य की निवेश योजनाओं को संशोधित करने के लिए मजबूर किया है.

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