जासूसी कांड में दिल्ली पुलिस को गुरुवार को बड़ी कामयाबी हासिल हुई. पुलिस ने पर्यावरण मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी के पीएस को गिरफ्तार किया है. इसके साथ ही संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य के पीए को भी दिल्ली पुलिस ने पकड़ा है. बड़ी मछलियों की इस गिरफ्तारी से कई सवाल खड़े हो गए हैं. ये तो साफ हो गया है कि पेट्रोलियम और दूसरे मंत्रालयों के अलावा पर्यावरण मंत्रालय के दस्तावेज भी लीक होते थे.
ऐसे चलता था कॉरपोरेट जासूसी का धंधा
पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपी जितेंद्र नागपाल पर्यावरण मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी का पीएस है. गिरफ्तार लोकेश ने पुलिस को बताया था कि जितेंद्र नागपाल के जरिए ही वो दस्तावेज लेता था. इसे चुराने का काम जितेंद्र नागपाल करता था. जितेंद्र पर्यावरण मंत्रालय में काम करता था और लोकेश उससे ये दस्तावेज लेकर दूसरी कंपनियों को बेचता था.
जासूसी कांड में दूसरी गिरफ्तारी विपिन नाम के शख्स की हुई है. विपिन संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य का पीए है. विपिन पहले पेट्रोलियम मंत्रालय में काम करता था. वो पेट्रोलियम मंत्रालय में अपने एक साथी के जरिए दस्तावेज लीक करवाता था.
सवाल फिर खड़ा होता है कि क्या जिन विभागों से ये लोग पकड़े गए हैं, क्या बात यहीं तक सीमित है. बात हैरान करने वाली है कि अहम और सीक्रेट दस्तावेज उन लोगों तक कैसे पहुंच रहे है. जिनकी पहुंच में ये होते ही नहीं है. क्या दफ्तर से गायब दस्तावेज की जिम्मेदारी उन मंत्रालय के बड़े अधिकारियों की नहीं है जहां से ये गायब हुए हैं.
पुलिस के अधिकारी इस सवालों पर कुछ नहीं बोल रहे हैं. इस पूरे मामले में सभी गिरफ्तारियां उस स्तर की हो रही हैं जिनका दस्तावेज से कोई लेना देना नहीं था. फिर भी वो उन्हें मिल जाते हैं और गायब हो जाते हैं.
दरअसल, इस मामले में पुलिस ने अब 16 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने जब लोकेश को गिरफ्तार किया था. उससे पता चला था कि वो पेट्रोलियम और कोयला, उर्जा मंत्रालय में अपने साथियों के जरिए दस्तावेज हासिल कर उन्हें अपनी कंनस्लेटंट फर्म के अलावा दूसरे फर्म को बेचता था. अब पुलिस इस मामले में आने वाले समय में कुछ और लोगों से पूछताछ कर सकती है.