पिछले एक साल में 54 फीसदी भारतीयों सरकारी संस्थाओं और सेवाओं में पहुंच की एवज में रिश्वत दी. जबकि ग्लोबल स्तर पर यह आंकड़ा सिर्फ 27 फीसदी है. भारत में भ्रष्टाचार से निपटने में राजनीतिक दलों और सरकारी मशीनरी की नाकामी की मिसाल एक सर्वे में सामने आई है.
'ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल' के सालाना सर्वेक्षण 'ग्लोबल करप्शन बैरोमीटर 2013' में कहा गया है कि देश में भ्रष्टाचार का ग्राफ पहले के मुकाबले ऊपर हो गया है. 107 देशों के 114,270 लोगों से बातचीत के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है.
सर्वे में शामिल 70 फीसदी भारतीयों ने माना कि देश में पिछले दो साल में भ्रष्टाचार बढ़ गया है, जबकि 53 फीसदी ने माना कि भ्रष्टाचार दुनिया भर में बढ़ रहा है.
भारतीयों ने राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा भ्रष्ट संस्था करार दिया. इसके बाद उन्होंने पुलिस और न्यायपालिका को रखा.
ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल के एशिया प्रशांत क्षेत्र की प्रबंधक रूखशाना नानायाकारा ने कहा, 'भारत एक ऐसा देश है जहां लोगों को भ्रष्टाचार से लड़ने के मुद्दे पर सरकार पर भरोसा नहीं है.'
उन्होंने बताया, 'सर्वे में शामिल 68 फीसदी भारतीयों ने कहा कि उन्हें इस बात का भरोसा नहीं है कि सरकार इस समस्या से लड़ने के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है.'
सर्वे के मुताबिक भारत घूसखोरी के मामले में भी काफी आगे हैं. यहां दो में से एक व्यक्ति ने माना कि उसने पिछले 12 महीनों के दौरान सरकारी संस्थाओं और सेवाओं में पहुंच की एवज में रिश्वत दी. फीसदी में बात करें तो यह आंकड़ा 54 फीसदी का है. जबकि ग्लोबल स्तर पर यह आंकड़ा गिरकर 27 फीसदी रह जाता है.
रूखशाना ने कहा, 'भारत में 86 फीसदी लोगों का मानना है कि राजनीतिक दल भ्रष्ट हैं. यह सरकार की अक्षमता की ओर इशारा करता है जो इस समस्या से निपटने में नाकाम रही है.'