इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बुधवार को जाट आंदोलन के दौरान हाल में रेलवे पटरी पर जाम लगाने जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिये केन्द्र तथा राज्य सरकार के अधिकारियों को सख्त कदम उठाने के आदेश दिये.
अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में रेल या सड़क मार्ग पर यातायात बाधित नहीं हो. इसके लिये तत्काल समस्या से निपटने के लिये बल प्रयोग करने तथा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के प्रावधानों को लागू करने तथा अन्य कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल करने के लिये प्राधिकारी दिशानिर्देश तैयार करें. मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल को की जाएगी.
न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह और न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार दीक्षित की पीठ ने आज मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्र तथा राज्य सरकार एवं रेलवे द्वारा अदालत में स्थिति रिपोर्ट पेश किये जाने के बाद अगली सुनवाई की तिथि 13 अप्रैल नियत की.
अदालत ने कहा कि हालांकि प्राधिकारियों ने गत 18 मार्च को दिये गए आदेश के अनुरूप रेलवे ट्रैक खाली कराकर प्रशंसनीय कार्य किया है लेकिन स्थिति रिपोर्ट में दी गई जानकारी इस मामले को बंद करने के लिये पर्याप्त नहीं है.{mospagebreak}
अदालत ने जाटों द्वारा करीब 15 दिन तक रेल पटरी पर लगाए गए जाम के बाबत अपर्याप्त जानकारी दिये जाने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि इसके लिये सम्बन्धित प्राधिकारी अदालत तथा जनता को स्पष्ट करें कि ऐसा क्यों हुआ.
यह मामला गत 18 मार्च को सामने आया था जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एफ. आई. रेबेलो द्वारा जाट आंदोलन के कारण रेल मार्ग बंद होने से जनता को हो रही घोर परेशानियों का स्वत: संज्ञान लेते हुए लखनउ पीठ के न्यायाधीशों न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह व न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार दीक्षित को इसे जनहित याचिका के तौर पर लेने के निर्देश दिये थे.
अदालत ने सम्बन्धित अधिकारियों को जाटों द्वारा जाम किये गए रेल मार्ग को खाली कराने के निर्देश दिये थे. इस आदेश में बाद जाटों ने गत 19 मार्च को राज्य सरकार के अनुरोध पर रेल मार्ग खाली कर दिया था.