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अदालत का सज्जन कुमार को राहत देने से इनकार

वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में गिरफ्तारी के संकट का सामना कर रहे कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंतरिम राहत देने से गुरुवार को इनकार कर दिया.

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वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में गिरफ्तारी के संकट का सामना कर रहे कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंतरिम राहत देने से गुरुवार को इनकार कर दिया.

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न्यायमूर्ति ए. के. पटनायक ने कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया कि नेता को गिरफ्तार करने से सीबीआई को सोमवार तक के लिये रोका जाये. कुमार की ओर से हाजिर वकील आई यू. खान ने दलील दी थी कि उच्च न्यायालय को सीबीआई को नेता को गिरफ्तार करने से रोकना चाहिये क्योंकि मामला अदालत में लंबित है.

उन्होंने दलील दी कि मामले में कुमार को गिरफ्तार करने की कोई जरूरत नहीं है और पीठ जब तक उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला न कर ले, तब तक उच्च न्यायालय को उन्हें यह राहत देनी चाहिये. न्यायमूर्ति पाठक के 19 फरवरी को अवकाश पर रहने के चलते इस मामले की सुनवाई अब सोमवार को होगी. इस अवधि के दौरान सीबीआई के कुमार को गिरफ्तार कर लेने की संभावना बरकरार है.

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सुनवाई अदालत के कुमार को अग्रिम जमानत देने से इनकार करने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उच्च न्यायालय में यह याचिका बुधवार को सुनवाई के लिये आयी थी. लेकिन न्यायमूर्ति एस एल भायाना ने सुनवाई न्यायमूर्ति पाठक की नियमित पीठ के समक्ष करने के लिये कार्यवाही मुल्तवी कर दी. मूल रूप से न्यायमूर्ति पाठक की पीठ में ही इस याचिका पर सुनवाई होनी थी.

बहरहाल, सुनवाई अदालत में कुमार के गैर हाजिर होने के चलते अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट लोकेश कुमार शर्मा ने नेता के खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. इसके बाद उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई होने से पहले सीबीआई के कुमार को गिरफ्तार कर लेने की संभावना उत्पन्न हो गयी.

वर्ष 1984 के दंगों के दो पृथक मामलों में सीबीआई ने गत 13 जनवरी को कुमार सहित 13 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़काऊ भाषण किये जिसके चलते हिंसा में 12 लोगों की मौत हो गयी. जांच एजेंसी ने वर्ष 2005 में नानावती आयोग की सिफारिश पर मामला दर्ज किया था. अपनी जांच पूरी करने के बाद सीबीआई ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल किये थे.

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