देश में कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता को लेकर विवादास्पद बयान देने के बाद आलोचनाओं में घिरे बॉलीवुड सितारे आमिर खान को गुरुवार को एक स्थानीय अदालत से राहत मिली. अदालत ने वह शिकायत खारिज कर दी जिसमें विवादास्पद बयानबाजी के लिये आमिर के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाने की गुहार की गयी थी.
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) जितेंद्र सिंह कुशवाह ने शिकायतकर्ताओं अशोक सोहनी और अभिषेक भार्गव की ओर से पेश तर्कों से असहमत होते हुए कहा कि मामले में आमिर के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 124-ए के तहत राजद्रोह का मुकदमा चलाने का उचित आधार नहीं है.
भार्गव ने संवाददाताओं से कहा कि वह अपनी शिकायत खारिज होने के इस फैसले को पुनरीक्षण याचिका दायर कर अदालती चुनौती देंगे.
आमिर के खिलाफ 26 नवंबर को दर्ज शिकायत में कहा गया था कि पिछले दिनों असहिष्णुता को लेकर बयान देकर आमिर ने चुनी हुई सरकार के खिलाफ जनता की भावनाएं कथित तौर पर भड़काने की कोशिश की. लिहाजा उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिये.
गौरतलब है कि देश में असहिष्णुता पर खत्म होती चर्चा-ए-आम की लौ को बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान ने यह कहकर हवा दे दी थी कि इस ओर कई घटनाओं ने उन्हें चिंतित किया है और पत्नी किरण राव ने एक बार यहां तक सुझाव दे दिया था कि उन्हें देश छोड़ देना चाहिए.
आमिर के बयान पर राजनीतिक गलियारे से लेकर सिनेमा की दुनिया तक हर जगह खूब शोर हुआ.
बाद में आमिर खान ने बयान जारी कर साफ शब्दों में कहा कि वह अपने पिछले बयान पर कायम हैं और उन्हें भारत में पैदा होने का गर्व है. आमिर ने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा है कि आलोचना करने वालों ने उनके बयान को सही साबित करने का काम किया है. आमिर ने कहा था कि उन्हें किसी से देशभक्ति का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए.