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अयोध्या फैसले के मद्देनजर अदालत की सुरक्षा अभेद्य किले जैसी

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अयोध्या के रामजन्मभूमि विवादित स्थल के मालिकाना हक पर आने वाले फैसले के मद्देनजर जहां प्रशासन तथा पुलिस ने पूरे प्रदेश में व्यापक सुरक्षा बंदोबस्त किये है. वहीं, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ विशेष पूर्णपीठ परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को भी अभेद्य किले जैसा बनाया जा रहा है.

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न्यायमूर्ति प्रदीपकांत तथा न्यायमूर्ति उमानाथ सहित वरिष्ठ न्यायाधीशों, अवध बार एसोसिऐशन के प्रतिनिधियों और वरिष्ठ वकीलों की कल हुई उच्च स्तरीय बैठक में 23 व 24 सितम्बर को अदालत परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को चौकस करने के लिए आम सहमति से एक योजना बनायी गयी है.

फैसले के मद्देनजर अदालत परिसर के बाहर व भीतर पहले से ही बड़ी संख्या में सीआरपीएफ, पीएसी तथा पुलिस के जवान तैनात किये गये है.

अवध बार एसोसिऐशन के प्रवक्ता ने बताया कि 23 व 24 सितम्बर को बिना किसी कार्य के अदालत में आने जाने वाले लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया जायेगा तथा एसोसिएशन के सदस्यों को भी परिचय पत्र देकर ही न्यायालय परिसर मे प्रवेश दिया जायेगा.

प्रवक्ता ने बताया कि दूसरे जिलों के आये अधिवक्ताओं और मुवक्किलों को भी इन दो दिनों में अदालत में आने के लिए अलग से पास दिये जायेंगे.

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उन्होंने बताया कि अदालत परिसर के नौ द्वारों से प्रवेश करने के लिए एसोसिएशन के सदस्यों के पास लगे वाहन के अतिरिक्त किसी अन्य वाहन को प्रवेश नही दिया जायेगा तथा अदालत के गेट के बाहर केवल सुरक्षा एजेंट की गाड़ी ही खड़ी हो सकेगी. अन्य वाहनो के लिए प्रशासन से कहा जायेगा कि वे इसके लिए कहीं अन्य पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित करें.

बैठक में तय किया गया कि अदालत परिसर की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस व प्रशासन का सहयोग किया जायेगा और अगर उच्च स्तरीय बैठक में बनी योजना में कुछ रद्दोबदल करने की जरुरत होगी तो उनकी सलाह से उसे अमल में लिया जायेगा.

प्रवक्ता ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एसआई रेबेलो की सहमति के बाद इस व्यवस्था को लागू करने के लिए सोमवार को आधिकारिक सूचना जारी कर दी जायेगी. उम्मीद जतायी जा रही है न्यायमूर्ति रेबेलो फैसले वाली तिथि तक लखनउ में रहेंगे.

उन्होंने बताया कि अदालत में चल रही सुनवाई के दौरान इस मुकदमे से संबंधित रिकार्ड, कागजातों और किताबों के लिए अलग से बनाये गये ‘रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद विभाग’ की सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी गयी है.

प्रवक्ता ने बताया कि इस मुकदमे की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एस. यू. खान न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा की निजी और आवासीय सुरक्षा को लगभग दोगुना कर दिया गया है.

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अदालत में फैसले वाले दिन जहां फैसला सुनाया जायेगा. वहां पर मीडिया तथा अधिवक्ताओं के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गयी है तथा मुकदमे के पक्षकारों के वकीलों को ही फैसले के वक्त उपस्थित रहने की अनुमति दिये जाने की उम्मीद है.

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