दिल्ली गैंगरेप मामले में अदालत ने सभी आरोपियों को 7 जनवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है.
कोर्ट को सौंपे गए जरूरी कागजात
दिल्ली पुलिस ने बर्बर सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में दिल्ली की एक अदालत में 5 आरोपियों के खिलाफ ई-आरोपपत्र दायर कर चुकी है. कोर्ट में तमाम जरूरी कागजात सौंपे जा चुके हैं. मामले में पीडि़त लड़की व उसके मित्र ने विस्तार से अपना बयान दर्ज करा दिया है.
पोस्टमार्टम व फॉरेंसिंक रिपोर्ट पेश
जानकारी के मुताबिक, सफदरजंग व सिंगापुर के अस्पतालों ने इस बात का जिक्र किया था कि पीडि़त लड़की को कई जगह जख्म दिए गए थे, जिससे उसके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी इसी ओर इशारा किया गया है. आरोपी के कपड़ों पर लगे खून व डीएनए रिपोर्ट भी जमा कराई जा चुकी है. इन नमूनों को जांच के लिए दिल्ली स्थित सीआईएफएसएल भेजा गया था.
सबूत नष्ट करने की कोशिश नाकाम
मामले की जांच के दौरान पुलिस पीडि़तों से छीनी हुई चीजें भी बरामद कर चुकी है. आरोपियों ने पीडि़तों के कपड़ों को भी जलाने की कोशिश की, मगर फिर भी खून के नमूने जुटा लिए गए.
अदालत ने लिया संज्ञान
एक महिला वकील ने दिल्ली गैंगरेप केस में बचाव पक्ष के वकील की हैसियत से कोर्ट में हाजिर होने की इच्छा जाहिर की, पर कोर्ट ने इस अनुरोध को तकनीकी कारणों से ठुकरा दिया. गौरतलब है कि अदालत ने 16 दिसंबर को पैरा मेडिकल की 23 वर्षीय छात्रा से हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में दायर आरोप पत्र पर संज्ञान लिया है.
पहली नजर में हत्या व गैंगरेप का केस
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट नमृता अग्रवाल ने आरोप पत्र का संज्ञान लेते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ पहली नजर में हत्या और सामूहिक बलात्कार सहित विभिन्न अपराधों का पता चलता है. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘मैंने आरोप पत्र और दूसरे दस्तावेज का अवलोकन किया है. पहली नजर में सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 376(2-जी) (सामूहिक बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध) 395 (डकैती), 396 (डकैती के दौरान हत्या), 34 (समान मंशा) और धारा 412 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) के तहत मामला बनता है.’
कोर्ट में पेशी के लिए समन जारी
उन्होंने कहा, ‘मैं आरोप पत्र का संज्ञान लेती हूं और सभी पांच आरोपियों को सात जनवरी को पेश करने के लिये समन जारी करती हूं.’ अदालत ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि पांचों आरोपियों राम सिंह, मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को सात जनवरी को पेश किया जाए. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध सहित तमाम अपराधों के आरोप में तीन जनवरी को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था. इसमें अधिकतम मौत की सजा तक हो सकती है.
'मृत्यु से पहले दिया गया बयान'
अदालत ने अतिरिक्त लोक अभियोजक राजीव मोहन की दलीलें सुनने के बाद आरोप पत्र का संज्ञान लिया. लोक अभियोजक ने ई-चालान दाखिल करने के बाद अदालत से कहा कि शिकायतकर्ता (पुरुष मित्र) और मृतक पीड़ित के बयान से आरोप पत्र में शामिल विभिन्न धाराओं के तहत आपराध करने का पता चलता है. उन्होंने कहा, ‘हम अभी संज्ञान लेने के चरण में ही हैं और अभी पहली नजर में अपराध होने के तथ्य की पुष्टि होना ही जरूरी है.’ उन्होंने कहा कि पीड़ित मृतक लड़की के बयान को इस मामले में मृत्यु से पहले दिया गया बयान माना जायेगा.
पीड़ितों के बयान काफी अहम
उन्होंने कहा, ‘हम अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत पीड़ित और उसके पुरुष मित्र के दर्ज बयानों पर निर्भर कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि पीड़ितों के बयानों से सभी अपराधों का पता चलता है. भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या और डकैती के दौरान हत्या के संदर्भ में लोक अभियोजक ने कहा कि सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल से मिले पीड़ित की मृत्यु का सार से पता चलता है कि उसकी मृत्यु घावों मे सड़न और शरीर के कई अंगों के काम करना बंद कर देने के कारण हुई. उन्होंने कहा कि सिंगापुर के अस्पताल से मिली मृत्यु के सारांश की सफदरजंग अस्पतल की रिपोर्ट से भी पुष्टि होती है जहां वह 11 दिन तक पीड़ित भर्ती थी.
आरोपी 5 से अधिक थे
उन्होंने कहा कि शरीर के विभिन्न अंगों में हुए जख्मों के कारण इनके काम करना बंद कर देने का जिक्र भी रिपोर्ट में है. अभियोजक ने कहा कि आरोपी पांच से अधिक थे और पीड़ित से लूटी गई वस्तुएं भी उनके पास से बरामद हुई हैं, जो धारा 396 और 302 के तहत अपराध के लिये पर्याप्त हैं. आरोप पत्र के साथ संलग्न डीएनए रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पीड़ित के खून और सभी आरोपियों के कपड़ों पर मिले खून के दाग से मिल गये हैं और सीएफएसएल ने भी इसकी पुष्टि कर दी है.
पीड़ित की पहचान गोपनीय
पीड़ित की पहचान गोपनीय रखने के लिए मृतक के नाम और पहचान से संबंधित दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में रखने के लोक अभियोजक के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट ने आरोप पत्र, ई-चालान और प्राथमिकी सहित मामले की पूरी फाइल अदालत की मुहर के अंतर्गत रखने का निर्देश दिया.
आरोपियों पर कई धाराओं में केस
आरोपियों के खिलाफ डकैती, हत्या करने और डकैती के दौरान चोट पहुंचाने और हत्या के प्रयास के अपराध में मामला दर्ज करने के संबंध में अभियोजक ने कहा कि दोनों पीड़ितों के बयान और इससे जुड़े गवाहों, डीएनए रिपोर्ट और सिंगापुर के अस्पताल तथा सफदरजंग अस्पताल के मृत्यु के आधार पर ये अपराध बनते हैं. धारा 412 के तहत बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करने के अपराध के बारे में उन्होंने कहा कि पुलिस ने पीड़ितों से लूटी गई वस्तुएं बरामद की हैं.
सबूत नष्ट करने का भी मामला
उन्होंने कहा कि इन सभी के खिलाफ सबूत नष्ट करने के आरोप में भी मामला बनता है क्योंकि आरोपियों की निशानदेही पर पुरुष मित्र और मृतक के जले हुए कपड़े और जले हुए कपड़ों पर खून के धब्बों का पीड़ितों के खून के नमूनों से मिलान हो गया है. लोक अभियोजक ने अदालत में कहा कि आरोप पत्र में 80 गवाहों के नामों के साथ ही आरोपियों के खिलाफ एकत्र 12 सबूतों की सूची भी है.
चलती बस में गैंगरेप का मामला
गौरतलब है कि 23 साल की पारा मेडिकल छात्रा से 16 दिसंबर की रात में चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था. इस वारदात मे बुरी तरह जख्मी इस लड़की की 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में मृत्यु हो गई थी. इस वारदात के दौरान पीड़ित लड़की के साथ बस में सवार हुए पुरुष मित्र को भी आरोपियों ने जख्मी कर दिया था. आरोपियों ने दोनों के कपड़े उतारने और लूटने के बाद उन्हें बस से बाहर फेंक दिया था.