भाजपा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ‘हिंदू आतंकवाद’ से जोड़ने संबंधी केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के बयान के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे के सिलसिले में एक स्थानीय अदालत सात मार्च को इस बाबत बहस की सुनवाई करेगी कि उन्हें अदालत में तलब करना है या नहीं.
अदालत द्वारा इस मामले से जुड़े सभी सबूत ‘ऑन रिकॉर्ड’ लेने के बाद महानगर मजिस्ट्रेट अमिताभ रावत ने बहस की सुनवाई की तारीख सात मार्च तय कर दी.
इससे पहले, अदालत ने याचिकाकर्ता वी पी कुमार की वकील मोनिका अरोड़ा की ओर से समन भेजने से पहले सौंपे जाने वाले सबूतों के बारे में जानकारी ली जिसमें आरोप लगाया गया कि गृह मंत्री ने ‘जानबूझकर आपत्तिजनक टिप्पणी की’ ताकि संप्रदायों के बीच ‘दुर्भावना और नफरत पैदा हो’.
कुमार ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि शिंदे की टिप्पणी का मकसद साल 2014 के आम चुनावों में ‘अल्पसंख्यक मतों का ध्रुवीकरण’ था.
याचिका में कहा गया, ‘बयान अपने वास्तविक अर्थों में न केवल मान कम करने वाला था बल्कि इससे यह आभास भी होता है कि हिंदू धर्म राष्ट्र-विरोधी एवं आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त है.’ कुमार ने अपनी याचिका में यह भी कहा, ‘मंत्री ने आतंकवाद के पर्यायवाची के तौर पर भगवा शब्द का इस्तेमाल किया जो बिल्कुल निर्थक, गलत, शरारत भरा और मान कम करने वाला है.’