बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को स्पष्ट कर दिया कि वह निचली अदालत की ओर से 26/11 मामले में संलिप्तता के लिए कसाब को सुनायी गयी मौत की सजा के खिलाफ उसकी ओर से दायर की जाने वाली याचिका का इंतजार नहीं कर सकता.
उच्च न्यायालय ने कहा कि वह 11 या 18 अक्तूबर को मौत की सजा की पुष्टि करेगा. सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकवादी की जान को खतरा है और उसे न्यायालय लाना खतरे से खाली नहीं होगा. इस पर न्यायालय ने कहा कि कसाब वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अपना पक्ष रख सकता है.
इसी से जुड़े एक घटनाक्रम में दक्षिणपंथी संगठन आजाद हिंद सेना के एक कार्यकर्ता ने सरकारी वकील उज्ज्वल निकम पर पाकिस्तानी आतंकवादी आमिर अजमल कसाब की अगुवाई वाले एक गिरोह का सदस्य होने का आरोप लगाया. कार्यकर्ता ने निकम पर यह भी आरोप लगाया कि 26/11 हमला पाकिस्तान के कारण नहीं बल्कि निकम के कारण हुआ है. {mospagebreak}
न्यायालय ने हालांकि यह कहते हुए उस शख्स की कोई भी बात सुनने से इनकार कर दिया कि उसने हस्तक्षेप याचिका दायर नहीं की थी. अदालत ने पुलिस को उसे परिसर से बाहर निकालने का आदेश दिया. इस कार्यकर्ता ने निकम पर उस वक्त आरोप लगाया जब कसाब को सुनायी गयी फांसी की सजा की तस्दीक संबंधी मामला उच्च न्यायालय के सामने सुनवाई के लिए आया था.
न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कार्यकर्ता को बहस करने की इजाजत नहीं दी. न्यायालय ने कहा कि उसने हस्तक्षेप करने का कोई आवेदन नहीं दिया था. सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने न्यायालय में ऐसे बेतुके आरोप लगाने वाले कार्यकर्ता पर आपत्ति जतायी और सूचित किया कि उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने पहले भी आदेश पारित कर उसे फर्जी याचिकाएं दायर करने से प्रतिबंधित किया था.
पुलिसकर्मियों की ओर से न्यायालय के बाहर ले जाते वक्त कार्यकर्ता ने कहा ‘वंदे मातरम, माननीय महोदय, कृपया मुझे कहने दें. यह कोई मामूली बात नहीं है. कसाब को तुरंत फांसी दें. उसका पक्ष सुनने के लिए इंतजार क्यों करें.’ न्यायाधीशों ने चेतावनी दी कि यदि वह अगली बार न्यायालय में आता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.