पशु बाजारों और मेलों में कटने के लिए जानवरों की बिक्री पर केंद्र के नए नियम कई राज्यों को रास नहीं आए हैं. हालांकि धर्मगुरु रविशंकर ने इस मसले पर सरकार के रुख का समर्थन किया है.
'सार्वजनिक जगहों पर पशुवध मंजूर नहीं'
'आजतक' के साथ खास बातचीत में रविशंकर ने माना कि लोगों को अपना भोजन चुनने की आजादी होनी चाहिए लेकिन सार्वजनिक जगहों पर पशु वध को स्वीकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने साफ किया कि सरकार का फैसला मांस से नहीं बल्कि पशुओं की बिक्री से जुड़ा है.
'तेजी से घट रहे पशु'
श्री श्री रविशंकर की राय में देश में मवेशियों की तादाद तेजी से घट रही है और सरकार के लिए इस मुद्दे का हल निकालना जरूरी है. उनके मुताबिक क्यूबा जैसे देशों में भी पशुवध पर जुर्माने का प्रावधान है. रविशंकर की मानें तो तमिलनाडु में पहले मवेशियों की 85 किस्में पाई जाती थीं लेकिन अब सिर्फ 2 या 3 प्रजातियां ही बची हैं.
'कोर्ट का फैसला हो मंजूर'
केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के अलावा उत्तर-पूर्व के राज्यों ने भी केंद्र के इस फैसले का विरोध किया है. लेकिन रविशंकर का मानना है कि सभी को इस मामले में अदालत का फैसला मानना चाहिए. उन्होंने कहा कि वो पशुओं के खिलाफ क्रूरता रोकने के लिए उठाए गए हर कदम का समर्थन करते हैं. इसका ताल्लुक लोगों को उनके बुनियादी हक से महरूम रखने का नहीं, बल्कि न्याय का है.