केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा एक आदेश के तहत राजनीतिक दलों को सार्वजनिक प्रधिकार घोषित किए जाने के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी किसी आरटीआई आवेदन का जवाब देने वाला पहला राजनीतिक दल बन गया है लेकिन उसने कहा है कि वह आरटीआई कानून के तहत नहीं आती.
आरटीआई के तहत दिए गए एक आवेदन के जवाब में भाकपा ने कहा है कि वह आईटी प्राधिकारियों और निर्वाचन आयोग को नियमित आधार पर सूचनाएं देती है और ‘आय तथा आय के स्रोतों पर पारदर्शिता’ की पक्षधर है. बहरहाल, सीपीआई ने कहा कि उसने अब तक किसी सार्वजनिक सूचना अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है.
पार्टी के महासचिव सुधाकर रेड्डी ने कहा ‘हमारी समझ के अनुसार, हम अब तक सूचना कानून का हिस्सा नहीं हैं लेकिन हम आपके सवालों का जवाब देते हैं.’ एक आरटीआई आवेदक ने अपने एक लेख पर पार्टी की प्रतिक्रिया जाननी चाही, जिसके जवाब में रेड्डी ने कहा ‘हमें आपका पत्र ‘सीआईसी के फैसले पर राजनीतिक दलों की बेबुनियाद आशंका’ मिला. इस तरह के पत्रों पर हम किसी को भी जवाब नहीं देते. यह जरूरी नहीं है. हमने प्रतिक्रिया नहीं दी क्योंकि यह अपमानजनक है और जो कहा गया, वह यह जाने बिना कहा गया कि हमारी आशंकाएं, संदेह और आपत्तियां क्या हैं.’
आवेदक एस.सी. अग्रवाल के सवाल के जवाब में भाकपा ने कहा कि वह राजनीतिक दलों की आय में पारदर्शिता की पक्षधर है और ऐसी सूचना सीआईसी को भी उसने दी है. इसका कहना है ‘अंदरूनी फैसले हम बाहरी लोगों को बताने के लिए तैयार नहीं हैं. हमें लगता है कि राजनीतिक दलों के लिए यह घोषित करना अपमानजनक है कि वह सरकार से मिली वित्तीय मदद से चलते हैं. यह बेबुनियाद आशंका नहीं है. आपकी अपनी राय है और हमारी अपनी राय है. चलिये हम असहमत होने के लिए सहमत हो जाएं.’ एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की याचिका पर सीआईसी ने छह राजनीतिक दलों.. कांग्रेस, भाजपा, राकांपा, बसपा, भाकपा और माकपा को आरटीआई कानून के तहत जन प्राधिकारी घोषित किया है.