scorecardresearch
 

महंगाई के खिलाफ संघर्ष तेज करेगी माकपा: करात

हाल के भारत बंद को जबर्दस्त रूप से सफल करार देते हुए माकपा ने बुधवार को कहा कि पार्टी बढ़ती कीमतों के खिलाफ संघर्ष को तेज करेगी और हड़ताल के कारण देश को हुए नुकसान से संबंधित ‘राजनीति से प्रेरित’ हथकंडों से प्रभावित नहीं होगी.

Advertisement
X

हाल के भारत बंद को जबर्दस्त रूप से सफल करार देते हुए माकपा ने बुधवार को कहा कि पार्टी बढ़ती कीमतों के खिलाफ संघर्ष को तेज करेगी और हड़ताल के कारण देश को हुए नुकसान से संबंधित ‘राजनीति से प्रेरित’ हथकंडों से प्रभावित नहीं होगी.

Advertisement

माकपा महासचिव प्रकाश करात ने कहा कि वाम दल संसद के आगामी मानसून सत्र में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के विषय पर धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ समन्वय बनायेगी और सदन से बाहर आंदोलन को तेज करने पर विचार विमर्श करेगी.

महंगाई के मुद्दे पर पांच जुलाई के भारत बंद की सफलता को देश को हुए आर्थिक नुकसान से जोड़ने हुए आलोचना करने को अव्यवहारिक करार देते हुए उन्होंने कहा ‘यह बात ऐसे लोग उठा रहे हैं जिन्हें पिछले बजट में हजारों कारोड़ रुपये की कर छूट प्रदान की गई है और जिन्हें प्रत्यक्ष कर संहिता में और छूट का वायदा किया गया है.’ माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के अंक में अपने लेख में करात ने कहा ‘साल 2009-10 में कारपोरेट क्षेत्र को दी गई कर छूट 80 हजार करोड़ रुपये बनता है.’ {mospagebreak}

Advertisement

तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा ‘केंद्र सरकार का हिस्सा बने रहकर उसे अब लोगों के हितों की रक्षा करने की दलील देने का कोई हक नहीं रह गया है क्योंकि वह लोक विरोधी कदम के साथ है.’ करात ने कहा ‘लोगों की आजीविका पर इस तरह से करारा प्रहार होने के बाद कोई भी विपक्षी दल अखिल भारतीय बंद से अपने आप को अलग नहीं रख सकता है.

राजग समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी बंद का आह्वान किया था.’ माकपा की ओर से विभिन्न सरकारों की पेट्रोलियम नीतियों का हमेशा विरोध करने का उल्लेख करते हुए करात ने कहा कि संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान जब नियंत्रण मुक्त नीति की घोषणा हुई थी, उस समय माकपा ने इस पर जबर्दस्त आपत्ति उठायी थी. उन्होंने कहा कि माकपा ने बताया था कि तेल पूल घाटे को कम करने के लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए. संयुक्त मोर्चा सरकार इस नीति को लागू नहीं कर सकी.

करात ने कहा ‘बहरहाल, प्रशासित कीमत तंत्र (एपीएम) को समाप्त कर नियंत्रण मुक्त व्यवस्था को साल 2002 में राजग सरकार ने लागू किया था. माकपा ने उस नीति का विरोध किया था और पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. नियंत्रण मुक्त नीति 2004 में स्थगित कर दी गई.’ उन्होंने कहा कि अब मनमोहन सिंह सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों को नियंत्रण मुक्त करने का फैसला किया है और इसका माकपा जबर्दस्त विरोध करेगी.

Advertisement
Advertisement