सीपीएम की तीन दिवसीय पोलितब्यूरो और केंद्रीय समिति की बैठक आज से दिल्ली में शुरू हो गई है. पोलित ब्यूरो और केंद्र समिति की बैठक में देश के तमाम राजनीतिक गतिविधियों पर चर्चा की जाएगी और संवेदनशील मुद्दों पर प्रस्ताव लाया जा सकता है.
CPM की इस बैठक में कश्मीर में हो रही हिंसा, उत्तर प्रदेश में हो रहे घटनाक्रम और उड़ीसा में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर भी चर्चा हो सकती है. इस बैठक की सबसे अहम बात होगी वामपंथी गठबंधन दल सीपीआई के उस रिजोल्यूशन पर चर्चा जिसमें सीपीआई ने देश में बीजेपी के खिलाफ एक सेक्युलर और लोकतांत्रिक गठबंधन बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिस का हिस्सा कांग्रेस भी हो.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इसी तरह के गठबंधन की वकालत कर रहे हैं. ऐसे में त्रिपुरा, बंगाल और केरल में मजबूत स्थिति में खड़ी सीपीएम को अपने सहयोगी दल सीपीआई के उस प्रस्ताव पर एक बड़ा फैसला लेना है. 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले इस तरह का कोई भी गठबंधन देश की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम होगा.
सूत्रों के मुताबिक बंगाल सीपीएम इकाई कांग्रेस के साथ गठबंधन के पक्ष में है लेकिन पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के ज्यादातर सदस्य ऐसे किसी भी गठबंधन से इत्तेफाक नहीं रखते. पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति में दूसरी बड़ी चर्चा इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर भी हो सकती है.
वामपंथी गठबंधन सीपीआई ने प्रस्ताव दिया था कि सभी वामपंथी पार्टियां और सेकुलर दल राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक साझा उम्मीदवार खड़ा करें. ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव के लिए साझा उम्मीदवार पर सीपीएम का फैसला पोलित ब्यूरो की इस बैठक के बाद सामने आने की संभावना है.
वहीं उड़ीसा में हुई सांप्रदायिक हिंसा के साथ कश्मीर में हो रहे बबाल पर सीपीएम का रिजोल्यूशन राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर सकता है.