सुप्रीम कोर्ट में CPWD ने दी जानकारी
नए संसद भवन और सचिवालय के प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा के निर्माण पर उठाई गई आपत्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग यानी CPWD ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि संसद की मौजूदा इमारत सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं है.
जुगाड़ से लगाई गई हैं बिजली-पानी की सुविधाएं
CPWD के जवाबी हलफनामे के मुताबिक करीब सौ साल पहले बनी ये इमारत भूकंप रोधी भी नहीं है. इसके अलावा इस इमारत में एयरकंडिशनिंग, बिजली, संचार, पानी और गैस सप्लाई की पाइप लाइनों के लिए भी मौलिक रूप से इंतजाम ना होने से ये सारी सुविधाएं जुगाड़ से लगाई गई हैं.
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मंत्रियों के दफ्तर के लिए सालाना देना होता है 1000 करोड़ किराया
हलफनामे में कहा गया है कि 51 से ज्यादा केंद्रीय मंत्री अलग-अलग दफ्तरों में बैठते हैं. इसके एवज में किराए के रूप में ही सरकार को हजार करोड़ रुपए सालाना अदा करना होता है. हलफनामे में CPWD ने कहा कि एक एकीकृत बिल्डिंग से कॉर्डिनेशन, अंतरविभागीय संचार की सुविधा बढ़ेगी और एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर में जाने का खर्चा भी बचेगा.
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लिहाजा एक एकीकृत, सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल इमारत वाले सचिवालय और संसद परिसर की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी मिलना जरूरी है. CPWD ने कहा है कि इस इमारत के पास फिर से ग्रीन एरिया को विकसित किया जाएगा.
बता दें कि सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक की इमारतें, जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की इमारतें हैं. केंद्र सरकार एक नया संसद भवन, एक नया आवासीय परिसर बनाकर उसका पुनर्विकास करना चाह रही है जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के अलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे.