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क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत कर्ज बैंकों के लिये बने परेशानी का सबब: भट्ट

क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत कर्ज के लटकते मामले बैंकों के लिये अब परेशानी का सबब बनने लगे हैं. देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने माना है कि ऐसे कर्जे की समय पर वापसी नहीं होने के कारण बैंकों की ऐसी संपत्तियों पर दबाव बढ़ने लगा है.

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क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत कर्ज के लटकते मामले बैंकों के लिये अब परेशानी का सबब बनने लगे हैं. देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने माना है कि ऐसे कर्जे की समय पर वापसी नहीं होने के कारण बैंकों की ऐसी संपत्तियों पर दबाव बढ़ने लगा है.

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स्टेट बैंक के अध्यक्ष ओमप्रकाश भट्ट ने मंगलवार को कहा, ‘पिछले दो सालों में क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत कर्जों के मामले में बैंक परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है, यह आने वाले समय में बैंकों के लिये बड़ी चुनौती होगी.’ भट्ट वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की और भारतीय बैंक संघ द्वारा आयोजित बैंकिंग सम्मेलन को सबोधित कर रहे थे.

क्रेडिट कार्ड उपयोग करने वालों की संख्या पिछले एक साल में 17 प्रतिशत कम हुई है. एक साल पहले 30 जून को जहां 2.28 करोड क्रेडिट कार्ड थे, वहीं इस साल इसी अवधि में इनकी संख्या 1.89 करोड़ रह गई. रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में क्रेडिट कार्ड के जरिये 17,000 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ. {mospagebreak}

व्यक्तिगत कर्ज एक अन्य क्षेत्र है जिसमें बैंकों के लिये समस्या खड़ी हो रही है. व्यक्तिगत कर्ज व्यक्ति विशेष को निजी जरूरत के लिये दिया जाता है. यह किसी विशेष खरीदारी के लिये नहीं होता और ऐसे व्यक्तिगत कर्ज पर बैंक उंची ब्याज दर वसूलते हैं. भट्ट ने डेरिवेटिव उत्पादों और कारोबार में भी नुकसान पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि इस पर भी गौर करने की जरूरत है. भट्ट ने बैंकों में नकदी की स्थिति पर कहा पिछले दिनों बैंकिंग तंत्र में नकदी की स्थिति में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया.

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उन्होंने नकदी की स्थिति को अनिश्चित बताते हुये कहा कि इसे देखते हुये कोष प्रबंधन बैंकों के लिये चुनौती बनता जा रहा है. भट्ट बैंकों के संगठन भारतीय बैंक संघ के भी अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा कि युवावर्ग की उंची महत्वकांक्षाओं को देखते हुये आने वाले दिनों में वृद्धि की व्यापक संभावनायें मौजूद हैं. ऐसे में बैंकों को विभिन्न मुद्दों पर गौर करना चाहिये. सही स्टाफ और नेतृत्व विकसित करना चाहिये ताकि ग्राहकों की बढ़ती उम्मीदों को पूरा किया जा सके.

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में आवास रिण क्षेत्र बैंकों के लिये वृद्धि पाने का प्रमुख क्षेत्र होगा. अगले दस सालों में आवास ऋण 1,000 अरब डालर के आंकड़े को पार कर जायेगा. उन्होंने कहा कि ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं में 12वीं योजना के दौरान इतनी ही राशि की जरूरत होगी. इस जरूरत को पूरा करने के लिये योजना आयोग और बैंकों के बीच अवसंरचना कोष के गठन के लिये बातचीत हुई है.

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