गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को दिल्ली में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्किंग सिस्टम यानी सीसीटीएनएस योजना की शुरुआत की. सौ फीसदी केंद्रीय बजट से चलने वाले हजार करोड़ रुपए के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट से अपराध और अपराधियों के डेटा बेस तैयार हो सकेंगे.
इस योजना का महत्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि देश में नागरिक सेवाओं को और सुलभ बनाना. उदाहरण के लिए अपराध की रिपोर्ट करना, अलग-अलग व्यक्ति के चरित्र सत्यापन करना, जिसमें किराएदार, कर्मचारी और दूसरे नागरिकों से जुड़ी 7 अन्य सेवाओं को राज्य पुलिस पोर्टल के माध्यम से शामिल किया जाएगा. राष्ट्रीय और राज्य स्तर के अपराध और आपराधिक डेटा सेंटर को स्थापित करके पूरी प्रक्रिया को कंप्यूटरीकरण करने का महत्वाकांक्षी योजना है.
सीसीटीएनएस योजना के अंतर्गत आने वाले 15398 पुलिस थानों में से 14284 पुलिस थानों में सीसीटीएनएस सॉफ्टवेयर प्रयोग किया जा रहा है. 14244 पुलिस थानों में से 13775 पुलिस थानों में शत-प्रतिशत FIR दर्ज करने के लिए यह सॉफ्टवेयर प्रयोग कर रहे हैं. आपको बता दें कि इस समय 36 में से 35 राज्य एवं संघ शासित प्रदेश राष्ट्रीय अपराध और आपराधिक डेटाबेस के साथ डाटा शेयर कर रहे हैं.
सीसीटीएनएस के जरिए आरोपी की पहचान करने में मदद मिलेगी जो कि अपने राज्य में अपराध करने के बाद किसी अन्य राज्य में छुप जाते हैं. इसके अलावा सीसीटीएनएस डेटाबेस आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी स्तंभों जैसे पुलिस ,न्यायालयों, जेलों, अभियोजन, फॉरेंसिक लैब, फिंगरप्रिंट, जुवेनाइल होम्स के साथ एकीकृत करने की प्रणाली पर गृहमंत्रालय काम कर रहा है. सीसीटीएनएस के लॉन्च के समय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस योजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए मैं सभी राज्य एवं संघ शासित प्रदेशों के सभी गृह सचिवों और महानिदेशकों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जोड़ता हूं और उनसे अनुरोध करता हूं कि डिजिटल पुलिस पोर्टल और राज्य पोर्टल के माध्यम से देश के लिए सेवाएं दक्षता के साथ जनता को वितरित की करने में मदद करें.
CCTNS के 5 महत्त्वपूर्ण बिंदु
-किरायेदार के वेरिफिकेशन में मदद मिलेगी
-कोई भी व्यक्ति इस पोर्टल के जरिये पुलिस में अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है
-किसी भी दुर्घटना, लूट, हत्या जैसे अपराध की तुरंत ऑनलाइन कम्प्लेन दर्ज हो सकती है
-एक साल के भीतर पासपोर्ट का वेरिफिकेशन इस CCTNS के जरिये होगा आसान और पुलिस के जरिये फिजिकल वेरिफिकेशन होगा कम
-अपराध के खिलाफ सरकार बेहतर तरीके से पॉलिसी बना सकेगी.
-जल्द ही अदालतों को इसके डेटा मुहैया कराए जाएंगे, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी.