कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में 9 गोलियां खाकर भी आतंक पर भारी पड़े कमांडेंट चेतन चीता का नाम सीआरपीएफ ने सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र के लिए भेजा है. चेतन चीता के अलावा शहीद कमांडेंट प्रमोद कुमार के नाम की सिफारिश भी गैलेंटरी अवॉर्ड के लिए किया गया है.
कौन हैं चेतन चीता
45 साल के सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता कश्मीर के बांदीपोरा में तैनात थे. वे सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन की कमान संभाल रहे थे. इसी साल 14 फरवरी को बांदीपोरा के हाजिन इलाके में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान उन्हें 9 गोलियां लगीं. इस मुठभेड़ में 3 जवान शहीद हो गए. इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की खबर के बाद सुरक्षा बलों ने सर्च अभियान चलाया था, लेकिन इसकी जानकारी आतंकियों को पहले ही मिल गई थी. उन्होंने ठिकाना बदल लिया. चेतन ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे. आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान चीता पर 30 गोलियां दागी गईं, जिनमें 9 गोलियां लगी थीं. 45 दिन तक कोमा में रहने के बाद वे जिंदगी की जंग जीत गए. ठीक होकर घर लौटने के बाद भी उनका हौसला कम नहीं हुआ है. चेतन चीता अब भी दुश्मनों से लोहा लेने के लिए कश्मीर जाना चाहते हैं.
अशोक चक्र के बारे में जानें
अशोक चक्र भारत का शांति के समय का सबसे ऊँचा वीरता का पदक है. शांति काल में वीरता के लिए प्रदान किया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है. यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है. बता दें कि यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है.