केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच और उनके मंत्रालय की खजाने में कोई दिलचस्पी नहीं. उन्होंने साफ कहा कि डौंडियाखेड़ा में खुदाई का मकसद पुरातात्विक महत्व की चीजें हासिल करना है, न कि खजाना हासिल करना.
मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा है कि उन्हें सोने से कोई मतलब नहीं है. यदि वहां सोना है तो खान मंत्रालय खुदाई करा ले. उन्हें अब तक की खुदाई में वहां कोई सोना नहीं मिला है, लेकिन खुदाई जारी है.
डौंडियाखेड़ा की खुदाई में मूर्ति का टुकड़ा, बर्तन, चूड़ियों के टुकड़े, टूटी फूटी ईंटें तो मिलीं, लेकिन खजाना नहीं मिला है. संस्कृति मंत्रालय को खजाना या सोना मिलने की उम्मीद भी नहीं है.
केंद्रीय संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच ने कहा, 'हमें कोई सोना नहीं मिला है. हम सोने या खजाने के लिए नहीं, बल्कि पुरातत्व महत्व की चीजों के लिए खुदाई कर रहे हैं.'
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई ने अपनी रिपौर्ट में कहा था कि जीएसआई की रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने डौंडियाखेड़ा की खुदाई को प्राथमिकता के आधार पर शुरू किया. हालांकि, एएसआई को 1962 में ही यहां धातु मिलने के संकेत मिले थे और इसी साल हमारे मंत्रालय के सालाना प्रोजेक्ट में यहां की खुदाई की योजना भी पहले ही बन चुकी थी, लेकिन शायद बाबा शोभन सरकार को इसकी भनक लग गई और उन्होंने यहां खजाना होने की बात शुरू कर दी.
चंद्रेश कुनारी कटोच ने कहा कि एएसआई हर साल खुदाई के लिए उपयुक्त स्थलों की सूची बनाकर उन पर काम शुरू करता है. डौंडियाखेड़ा पर भी काम शुरू करने का कार्यक्रम पहले से तय था.
मंत्री जी ये भी कहती हैं कि अगर सोना या खजाना है भी तो उसे खोदना उनके मंत्रालय का काम नहीं है. यह काम खान मंत्रालय का है.
सरकार कहती हैं कि शोभन सरकार के पास अगर खजाने और किले का कोई नक्शा है तो वो उनके पास आएं, सरकार उनके पास क्यों जाए. यानी सरकार अब शोभन सरकार से चिढ़ने लगी है. सरकार का कहना है कि कृषि राज्य मंत्री चरण दास महंत का लिखा वो पत्र भी उनके पास नहीं है, जिसके आधार पर एएसआई को खुदाई के लिए डौंडियाखेड़ा भेजा गया. उनके पास अब एक सांसद का दूसरा पत्र है, जिसके आधार पर बिहार के विक्रम शिला के टीले की खुदाई होगी.