केंद्र सरकार ने राज्य सभा में मंगलवार को नागरिकता विधेयक बिल पेश किया, लेकिन इसके विरोध में पहले ही मणिपुर में हिंसा भड़क उठी. राजधानी इंफाल में सोमवार रात से ही कर्फ्यू लगा दिया गया. इसके साथ ही इंटरनेट सेवा 5 दिन के लिए रोक दी गई है.
बताया जा रहा है कि छात्र विधेयक के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं. जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी के मुख्यमंत्रियों के पुतले जलाए जा रहे हैं. इस बीच स्थानीय केबल टीवी और न्यूज़ चैनल्स को विरोध प्रदर्शन को कवरेज ना करने के भी आदेश जारी किए गए हैं.
नागरिकता विधेयक के खिलाफ 'पूर्वोत्तर कयामत दिवस'...
गौरतलब है कि नागरिकता विधेयक के खिलाफ संगठन मैनपैक ने 'पूर्वोत्तर कयामत दिवस' मनाने की घोषणा की है. यही नहीं, बीजेपी शासित पूर्वोत्तर के दो राज्यों अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के मुख्यमंत्रियों ने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया है.
इसके पहले सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने विधेयक राज्यसभा से पारित न करने का अनुरोध किया.
आखिर क्यों हो रहा है विरोध...
नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 से पूर्वोत्तर के लोगों में यह कहना है कि यदि वह बिल पास होता है तो इससे राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत के साथ खिलवाड़ होगा. क्योंकि इस बिल से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिल जाएगी और यदि यह क़ानून बन जाता है तो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय केवल छह साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल जाएगी.
पाकिस्तान और बांग्लादेशियों को फायदा...
ऐसा कहा जा रहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक से सबसे ज्यादा भारत में आए बांग्लादेशियों और पाकिस्तानियों को फायदा पहुंचने वाला है. क्योंकि करीब 31 हजार अवैध प्रवासी भारत में रह रहे हैं. जिन्हें सरकार ने ही लॉन्ग टर्म वीजा (एलटीवी) दिया हुआ है.