जम्मू कश्मीर में शब-ए-मेहराज के अवसर पर लोग विशेष नमाज अता कर सकें, इसके लिए सोपोर और पुलवामा को छोड़कर कश्मीर घाटी में कर्फ्यू में ढील जारी है. इस बीच भीड़ को भड़काने के आरोप में पुलिस ने 30 लोगों को गिरफ्तार किया है.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती से अपील की है कि वह सर्वदलीय बैठक से दूर रहने के अपनी पार्टी के फैसले पर दोबारा विचार करें. मुख्यमंत्री ने मौजूदा हालात पर विचार विमर्श के लिए श्रीनगर में सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने ऐतिहासिक जामा मस्जिद में नमाज अता की और जदीबल रवाना हुए जहां उन्हें एक अन्य पृथकतावादी नेता सैयद हसन बडगामी से मिलना था. इसके बाद दोनों नेताओं ने घर जाने से पहले एक शांतिपूर्ण जुलूस का नेतृत्व किया. हजरतबल के पास यूनिवर्सिटी गेट पर पुलिस ने शांतिपूर्ण ढंग से जुलूस को तितर-बितर कर दिया.{mospagebreak}पुलिस ने अनंतनाग के एक पृथकतावादी नेता काजी यासिर को हिरासत में भी लिया और उन पर लोक सुरक्षा अधिनियम लगाया. यासिर को बाद में जम्मू जेल भेज दिया गया. बहरहाल शहर के कमारावारी, नाज सिनेमा, नोहट्टा और मयसुमा इलाकों में शनिवार सुबह कुछ प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए लेकिन पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया. इसके बाद मयसुमा में प्रतिबंध लगाए गए.
इससे पहले, बीती रात पूरी घाटी में चार दिन के बाद कर्फ्यू में ढील दी गई. ढील देने से पहले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की ताकि शब ए मेहराज के अवसर पर लोग रात में हजरतबल दरगाह में नमाज अता कर सकें. लोग बड़ी संख्या में हजरतबल दरगाह पहुंचे और शाम तक तीन विशेष नमाज अता की गईं जिनमें लगभग दस हजार लोग शामिल हुए.
कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक फारक अहमद ने बताया कि घाटी में हालात शांतिपूर्ण हैं. उन्होंने बताया, ‘‘अनंतनाग और बारामूला में कोई कर्फ्यू नहीं है, लेकिन कुछ इलाकों में प्रतिबंध लगाए गए हैं क्योंकि शरारती तत्वों ने यहां पुलिस पर पथराव किया.’’ दूसरी ओर अमरनाथ यात्रा शांतिपूर्ण तरीके से जारी है. श्रद्धालुओं का जत्था अनंतनाग से पहलगाम पहुंचा. बीते दस दिनों में एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु पवित्र गुफा के दर्शन कर चुके हैं. पुलिस ने इसके लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं.{mospagebreak}
श्रीनगर में दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठान खुले रहे और यातायात सामान्य रहा. बहरहाल, दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में कर्फ्यू लगाना पड़ा क्योंकि मीडिया की एक खबर से तनाव फैल गया था. खबर में कहा गया था कि पुलिस की गोलीबारी में एक व्यक्ति मारा गया है जिसका अधिकारियों ने खंडन किया. प्रशासन ने कहा कि खबर गलत है, इसके बावजूद लोग सड़कों पर उतर आए. इससे पहले की हालात काबू से बाहर होते, प्रशासन ने यहां कर्फ्यू लगाने का फैसला किया.
पुलवामा जिले के काकपुरा इलाके में बीती शाम भीड़ और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हुई थीं, जिसमें 16 जवान और पांच नागरिक घायल हो गए थे. सोपोर में कर्फ्यू जारी है. इस बीच जम्मू कश्मीर पुलिस पथराव करने वाले लोगों को पकड़ रही है. बीती रात से अब तक 30 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
प्रतिबंध हटाने के बावजूद स्थानीय अखबार नजर नहीं आए. कुछ मीडिया समूह ने अखबार नहीं छापने का यह कहते हुए फैसला किया है कि मीडिया के लिए कवरेज बाबत पर्याप्त पास जारी नहीं किए गए हैं.
{mospagebreak}जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घाटी की मौजूदा स्थिति पर विचार के लिए सोमवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में शामिल होने की खातिर मुख्य विपक्षी दल पीडीपी से आज एक बार फिर अपील की. पीडीपी सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को लिखे पत्र में सोमवार की बैठक में शामिल होने के लिए कहा. पत्र के अनुसार उमर ने कहा कि सोमवार की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. इसके साथ ही उन्होंने बैठक में शामिल होने की अपील की. उल्लेखनीय है कि पीडीपी ने एक दिन पहले की कहा था कि बैठक में शामिल होने का कोई तुक नजर नहीं आता.
जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी ने भी प्रदेश की स्थिति पर विचार विमर्श के लिए राज्य सरकार द्वारा सोमवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. पार्टी अध्यक्ष भीम सिंह ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘हम मुख्यमंत्री द्वारा 12 जुलाई को आयोजित बैठक में शामिल होने के नोटिस को खारिज करते हैं, क्योंकि इसका कोई एजेंडा तय नहीं किया गया है.’’ सिंह ने घाटी के मौजूदा संकट को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की. उन्होंने राज्यपाल एन एन वोहरा से राज्य में राज्यपाल शासन लगाने का अनुरोध किया. बैठक के लिए राज्य के सभी 12 मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों और समूहों को आमंत्रित किया गया है.{mospagebreak}मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि राज्य सरकार 13 जुलाई को शहीद दिवस के बाद ही घाटी से सेना की तैनाती हटाने के विकल्प पर विचार करेगी. यह कदम उठाने से पहले स्थिति का आकलन किया जायेगा.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘अभी तक सेना को शहर में नहीं तैनात किया गया है. वह केवल बाहरी क्षेत्रों में है और उसे भी दो दिन पहले ही तैनात किया गया था.’’ उमर ने स्वीकार किया कि केन्द्र से सेना की सहायता मांगना सबसे कठिन निर्णय था. उन्होंने कहा कि वह अपने कार्यकाल में इस तरह के निर्णय को फिर नहीं लेना चाहेंगे.
यह पूछे जाने पर कि उनकी सरकार सेना हटाने के बारे में कब विचार करेगी, उमर ने कहा कि सरकार को उस स्तर का भरोसा हो जाने के बाद ही यह संभव होगा. घाटी में हिंसा बढ़ जाने के बाद मंगलवार रात को सेना बुलायी गयी थी.
उन्होंने कहा, ‘‘स्थिति पर दैनिक आधार पर नजर रखी जा रही है. हम 13 जुलाई के बाद उस विकल्प पर विचार करेंगे और निर्णय करेंगे.’’ 13 जुलाई को उन लोगों की याद में शहीद दिवस मनाया जाता है जो लोग डोगरा शासन के खिलाफ लड़ते हुए मारे गये थे.