वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार आने वाले तीन महीनों में उपभोक्ता वस्तुओं के दाम और बढ़ने की आशंका बनी हुई है और इससे महंगाई से फिलहाल राहत मिलने की संभावना नहीं दिखाई देती.
भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति में लगातार वृद्धि से पहले ही चिंतित है और यदि आने वाले महीनों में इसमें तेजी का रुख बना रहता है तो वह मौद्रिक तंत्र में नकदी पर अंकुश लगाने के लिये नीतिगत दरों में और सख्ती कर सकता है.
एसोचैम के अनुसार, ‘‘टिकाउ उपभोक्ता वस्तुओं, गैर-टिकाउ उपभोक्ता सामान सहित उपभोक्ता वस्तुओं के दाम निकट भविष्य में और बढ़ने की संभावना है.’’ उद्योग मंडल का यह सर्वेक्षण 266 व्यावसायिक प्रमुखों की प्रतिक्रिया पर आधारित है.
उल्लेखनीय है कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर अप्रैल में 9- 59 प्रतिशत पर रहने के बाद मई, 2010 में दहाई अंक पर पहुंचकर 10- 16 प्रतिशत हो गई. सर्वेक्षण में कहा गया है कि थोक मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति अब तक खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने तक ही थी, लेकिन अब यह उद्योगों में तैयार माल और उत्पादों में भी बढ़ने लगी है.
एसोचैम सर्वेक्षण कहता है कि उद्योग बढ़ती उत्पादन लागत को खपाने के लिये अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने की दिशा में बढ़ रहे हैं. सर्वेक्षण के अनुसार, ‘‘व्यावसायियों को अगले छह महीने में अपने उत्पाद की ज्यादा कीमत मिलने की उम्मीद है, विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले 80 प्रतिशत से अधिक कारोबारियों ने कहा है कि उन्हें अपने उत्पाद की अधिक कीमत मिलने की उम्मीद है.’’ उद्योग जगत बैंकों के कर्ज पर ब्याज दरों में वृद्धि का विरोध करता आ रहा है. उद्योगों का मानना है कि उनकी उत्पादन लागत पहले ही बढ़ रही है, इसमें और वृद्धि से मांग पर असर पड़ सकता है.