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अश्लील वीडियो लिंक भेजकर किए गए अधिकारियों के कंप्यूटर सिस्टम हैक

सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को सीक्रेट सेक्स वीडियो के फर्जी लिंक भेजकर हैकिंग करने का मामला सामने आया है. हैकर सेना की जानकारी हैकर करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. हैकर सीक्रेट सेक्स वीडियो के नाम पर संदिग्ध वेबसाइटों के फर्जी लिंक ई-मेल कर रहे हैं.

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सेना के चार अधिकारियों के कंप्यूटर सिस्टम के हैकिंग की कोशिश
सेना के चार अधिकारियों के कंप्यूटर सिस्टम के हैकिंग की कोशिश

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सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को सीक्रेट सेक्स वीडियो के फर्जी लिंक भेजकर हैकिंग करने का मामला सामने आया है. हैकर सेना की जानकारी हैकर करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. हैकर सीक्रेट सेक्स वीडियो के नाम पर संदिग्ध वेबसाइटों के फर्जी लिंक ई-मेल कर रहे हैं. भारतीय सेना की साइबर सिक्यूरिटी टीम ने इसका खुलासा किया है. हाल ही में भारतीय सेना के चार लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के कंप्यूटर सिस्टम हैक करने की कोशिश की गई थी. ये अधिकारी दिल्ली स्थित दक्षिण ब्लॉक हेडक्वार्टर में तैनात हैं.

मेल टुडे के मुताबिक इन अधिकारियों को हैकरों ने सेक्स वीडियो के फर्जी लिंक भेजे, जिसमें क्लिक करने के बाद कंप्यूटर सिस्टम हैक हो गए. हैकर किसी सिस्टम को हैक करने के लिए ऐसी ही संदिग्ध वेबसाइटों के लिंक का इस्तेमाल करते हैं. इसके जरिए वे कंप्यूटर के सिस्टम में वायरस भेज देते हैं और उसको आसानी से हैक कर लेते हैं. इसके बाद हैकर सिस्टम से अहम जानकारियां चुरा लेते हैं.

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ट्रोजन वायरस का इस्तेमाल
उच्चस्तरीय अधिकारियों ने इंडिया टुडे को बताया कि सैन्य अधिकारियों के सिस्टम को हैक करने के लिए ट्रोजन वायरस का इस्तेमाल किया गया. यह बेहत खतरनाक वायरस होत है. हैकर एक बार इस वायरस को किसी सिस्टम में भेजकर आसानी से उसकी जानकारी चुरा लेते हैं. सेना ने जांच में हैक किए गए सिस्टम में इस वायरस को पाया है. इन अधिकारियों को भेजे गए मेल के साथ हाइपर लिंक भेजे गए, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी के सीक्रेट सैक्स वीडियो लीक होने की बात कही गई. सेना के सूत्रों ने बताया कि इसमें लिखा गया कि लेफ्टिनेंट जनरल के इस अधिकारी की लीक सेक्स वीडियो को देखने के लिए क्लिक करें.

रूसी हैकरों का हो सकता है हाथ
फिलहाल सैन्य अधिकारियों के सिस्टम को हैक करने वाले हैकरों की नागरिका के बारे में जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन सेना की यूनिट ने सर्वर और इंटरनेट प्रोटोकोल का पता लगा लिया है. इसकी लोकेशन जर्मनी बताई जा रही है. अधिकारियों का कहना है कि हाल ही में अंतरराष्ट्रीय हैकिंग में रूस के नागरिकों के नाम सामने आ चुके हैं. ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस हैंकिग के पीछे रूसी हैकर हो सकते हैं.

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सैन्य अधिकारियों के ब्लैकमेल का खतरा
साइबर यूनिट ने सैन्य खुफिया के सुरक्षा अधिकारियों को संदिग्ध ई-मेल की जानकारी दे दी है. सेना की खुफिया विंग के सूत्रों का कहना है कि अगर हैकर अधिकारियों के कंप्यूटर सिस्टम से जानकारियां चुराने में कामयाब रहे, तो वे इनका इस्तेमाल ब्लैकमेल करने के लिए कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि पहले भी ऐसे ही ब्लैकमेल करने की कोशिशें की जा चुकी हैं. उन्होंने बताया कि हैकरों ने इन ई-मेल को जूनियर सैन्य अधिकारियों को भी भेजा है, लेकिन किसी ने इसको क्लिक नहीं किया, जिससे किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई है.

सुरक्षाकर्मियों को किया गया अलर्ट
सेना ने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों को ऐसे ई-मेल नहीं खोलने के लिए अलर्ट किया है. सोशल मीडिया के जरिए भी सैन्यकर्मियों को अलर्ट किया जा रहा है. उनको ऐसे ई-मेल या हाइपरलिंक पर क्लिक नहीं करने की सलाह दी जा रही है. सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया कि अज्ञात ई-मेल के साथ भेज गए हाइपर लिंक को ओपेन न करें और इनबॉक्स से ऐसे मेल को फौरन डिलीट कर दें.

आईएसआई ने खुफिया जानकारी चुराने को अपनाया था हथकंडा
हाल ही में पाकिस्तानी एजेंटों की ओर से हनी ट्रैपिंग के मामले सामने आने के बाद से सुरक्षाकर्मियों को तकनीकी की ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जा रही है. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की ओर से महिलाओं की फर्जी प्रोफाइल का इस्तेमाल करके सुरक्षाकर्मियों से संवेदनशील जानकारी हासिल करने के मामले सामने आ चुके हैं. दिसंबर 2015 में भारतीय वायुसेना के कर्मचारी रंजीत केके को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को संवेदनशीलजानकारी भेजने के आरोप में पंजाब के बठिंडा शहर से गिरफ्तार किया गया था. इसमें आईएसआई ने दामिनी मैकनॉटी नाम से एक फर्जी प्रोफाइल बनाई थी, जिसने खुद को यूके की मीडिया फर्म मैकनॉटी की कार्यकारी बताया.

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