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चक्रवात वायु ने तो छोड़ दिया पर 21 साल पहले इस साइक्लोन ने मचाई थी गुजरात में तबाही

चक्रवाती तूफान वायु तो गुजरात के तट को छूकर आगे बढ़ गया लेकिन 21 साल पहले ऐसे ही तूफान ने गुजरात के तटीय कस्बे कांडला को बर्बाद कर दिया था. 9 जून 1998 को सामान्य दिन था. आसमान भी साफ था. अचानक, आसमान काला हो गया. तेज हवाएं चलने लगी. सिर्फ 6 घंटे के अंदर पूरा का पूरा कांडला कस्बा तूफान की चपेट में आ गया था.

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चक्रवाती तूफान (फाइल फोटो)
चक्रवाती तूफान (फाइल फोटो)

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चक्रवाती तूफान वायु तो गुजरात के तट को छूकर आगे बढ़ गया लेकिन 21 साल पहले ऐसे ही तूफान ने गुजरात के तटीय कस्बे कांडला को बर्बाद कर दिया था. 9 जून 1998 को सामान्य दिन था. आसमान भी साफ था. अचानक, आसमान काला हो गया. तेज हवाएं चलने लगी. सिर्फ 6 घंटे के अंदर पूरा का पूरा कांडला कस्बा तूफान की चपेट में आ गया था.

तेजी से बढ़ते जलस्तर ने लोगों के घरों, खेतों और नमक के मैदानों को अपनी जद में लेना शुरू कर दिया. लोग ऊंचाई वाली जगहों पर भागने लगे. नमक के मैदानों में काम करने वाले जयंती भाई ने बताया कि तूफान आते ही मैं, मेरा परिवार और 28 लोग मेरे दो मंजिला मकान की छत पर चले गए. उस समय समुद्र में उठ रही 25 फीट की लहरें कस्बे में तेजी से आ रही थीं.

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जयंतीभाई ने बताया कि वैसी ही 25 फीट ऊंची लहर उनके घर से टकराई और पूरा घर गिर गया. जयंतीभाई तो एक खंभा पकड़कर बच गए लेकिन उनकी पत्नी, दो बेटियां और बाकी लोग बह गए. जयंतीभाई कहते हैं कि यह दुर्वासा ऋषि के श्राप से भी भयावह था. पूरे कांडला में सिर्फ मौत और बर्बादी का नजारा था. पूरे कस्बे में शव फैले हुए थे.

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बचे हुए लोग अपने परिजनों को खोज रहे थे. शवों को ट्रकों में भरकर अस्पताल भेजा जा रहा था. अस्पताल की बालकनी, लॉबी और वेटिंग हॉल अस्थाई मुर्दाघर बन गए थे. कांडला बंदरगाह पर 15 जहाज डूब गए थे. ऊंची लहरों और तेज हवाओं ने दो जहाजों को राष्ट्रीय राजमार्ग-8ए पर ला पटका. जामनगर, जूनागढ़ और राजकोट में भी ऐसा ही नजारा था. कितने घर, झुग्गियां, गाड़ियां बह गईं, इसका सही आंकड़ा आज तक नहीं मिला है.

इस तूफान से पहले चेतावनी जारी की गई थी लेकिन सरकार सो रही थी. लोगों को ये पता ही नहीं था कि उनकी तरफ कितनी बड़ी मुसीबत आ रही थी. इससे पहले की लोग कुछ समझ पाते समुद्र ने उन्हें निगलना शुरू कर दिया.

4 जून 1998 को भारतीय मौसम विभाग ने अरब सागर पर चक्रवाती तूफान की चेतावनी जारी की थी. 7 जून को दोपहर 12.30 बजे मौसम विभाग ने फिर चेतावनी जारी की जो चक्रवात गुजरात के तटों की तरफ बढ़ रहा है वह भयावह है. इससे सौराष्ट्र और कच्छ के तटीय इलाको में भारी बारिश होगी, तेज हवाएं चलेंगी. इसमें कांडला भी शामिल है. 8 जून को फिर मौसम विभाग ने कांडला के रेड अलर्ट की चेतावनी जारी की. लेकिन सरकार सोई रही. मदद आई लेकिन हजारों लोगों के मरने के बाद. जबकि, हजारों लोगों को आसानी से बचाया जा सकता था.

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1998 में टीवी की पहुंच बहुत कम लोगों के पास थी. लोगों को खबर मिल नहीं पाई. आम लोगों को एकदम पता नहीं था कि कितना भयावह तूफान उनकी ओर आ रहा है. आधिकारिक आंकड़ों की माने तो तूफान की वजह से 1173 लोगों की मौत हुई थी. 1774 लोग लापता थे. लेकिन मीडिया रिपोर्ट इन आंकड़ों के उलट थी. 1998 में इंडिया टुडे में प्रकाशित खबर के अनुसार कम से कम 4 हजार लोगों की मौत हुई थी. हजारों लोग लापता हुए थे. सरकार ने बताया कि सिर्फ कांडला में 1855.33 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ था.

तत्कालीन उद्योग मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री सुरेश मेहता ने इंडिया टुडे को कहा था कि कांडला पोर्ट ट्रस्ट को चेतावनी जारी कर लोगों को बचाना चाहिए था. सरकार ने अपनी क्षमता के अनुसार लोगों को सही समय पर चेतावनी दे दी थी. एक महीने बाद ही केशुभाई पटेल जहां एक ओर केंद्र से मदद मांग रहे थे, वहीं दूसरी तरफ 30 मंत्रियों को नई कार दी जा रही थी.  

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