आपको पता है कि Escape Velocity क्या है. जवाब जानिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से. वो भी तब जब बात दलितों के विकास की हो रही हो. क्योंकि दलितों के घर में रात बिताने वाले राहुल का मानना है कि दलितों का उत्थान करना है तो उन्हें ज्यूपिटर (बृहस्पति) ग्रह की Escape Velocity देनी होगी.
घबराएं नहीं अब हम आपको Escape Velocity के बारे में भी बता देते हैं, क्योंकि राहुल के भाषण को समझना है तो ये जानना जरूरी है.
Escape Velocity यानी पलायन गति
भौतिकी के अनुसार किसी वस्तु (जैसे की पृथ्वी) का पलायन वेग उस गति को कहते हैं जिसपर यदि कोई दूसरी वस्तु (जैसे की कोई रॉकेट) पहली वस्तु से रवाना हो तो उसके गुरुत्वाकर्षण की जकड़ से बाहर पहुंच सकती है.
अगर परिभाषा समझ में नहीं आई तो चिंता मत करिए क्योंकि राहुल का भाषण तो अभी बाकी है.
राहुल गांधी की Escape Velocity थ्योरी
राहुल गांधी ने कहा, 'एयरोनोटिक्स में Escape Velocity का कंसेप्ट होता है. मालूम है आपको इसके बारे में. इसका मतलब है अगर हमारी धरती से अंतरिक्ष में जाना है तो आपकी गति 11.2 किलोमीटर प्रति सेकेंड होनी चाहिए. मतलब इससे कम है तो आप धरती पर ही रह जाएंगे और ज्यादा होगी तो आप निकल जाएंगे. ज्यूपिटर की Escape Velocity क्या होती है...अब आप सोच रहे होंगे कि मैं क्या बात कर रहा हूं. दरअसल, बृहस्पति ग्रह की Escape Velocity होती है...60 किमो प्रति सेकेंड. अगर आपको ज्यूपिटर की खींच से बाहर निकलना है तो आपकी गति इतनी होनी चाहिए.'
दलितों को चाहिए Escape Velocity, बाबा अंबेडकर को मिल गई थी
सियासत पर राहुल का भौतिकी ज्ञान आगे भी जारी रहा, 'हमारे देश में जात का कंसेप्ट है. इसमें भी एक Escape Velocity होती है. अगर आप किसी जात के हैं और आपको सफलता पानी है तो आपको भी Escape Velocity की जरूर होती है और दलितों को इस धरती पर ज्यूपिटर ग्रह के Escape Velocity जरूरत होती है, क्योंकि आपको बहुत ज्यादा तेज धक्का मारना होता है. और इतिहास को देखें... जो दलित लोग होते हैं जो हम सब हैं. दलित बाबा अंबेडकर जी को बहुत गर्व से देखते हैं. कारण ये है कि वो पहले आदमी थे जो प्राप्त कर गए, और अमेरिका चले गए.'
कांशीराम ने भी दिलवाई कइयों को Escape Velocity
दलित आंदोलन पर राहुल ने अपना विचार रखते हुए कहा, 'इस देश दलित आंदोलन में विभिन्न फेज थे. पहला स्टेज था....आपके एक व्यक्ति थे जो Escape Velocity प्राप्त करके जात सिस्टम से निकल गये और उन्होंने संविधान बनाया, और कांग्रेस पार्टी के साथ आरक्षण का कंसेप्ट निकला. पहले स्टेज में अंबेडकर जी ने काम किया और लोगों को दिखा कि एक व्यक्ति निकल गये. दूसरा स्टेज कांशीराम जी का था. उन्होंने क्या किया....जो ऊर्जा आरक्षण से निकली थी. आरक्षण प्राप्त करने वाले लोगों को एक संगठन बनाया और उससे उन्होंने कई लोगों को Escape Velocity दिलावाने की कोशिश की. काफी लोगों को इसका फायदा भी हुआ.'
मायावती ने किसी को Escape Velocity नहीं दिया
मायावती पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'अब तीसरा स्टेज, दूसरे चरण में मायावती जी ने भूमिका निभाई थी. मगर सबसे बड़ी बात नेतृत्व की है. अगर आप दलित आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो एक और दो नेताओं से बात नहीं बनने वाली. लाखों नेताओं की जरूरत है. जो दूसरा फेज था, वहां नेता का प्रोडक्शन बिल्कुल बंद हो गया. जो लीडरशीप है इस आंदोलन की, उसपर मायावती ने कब्जा कर लिया है और दूसरों को उभरने नहीं देती. यह कांग्रेस के लिए बड़ा मौका है. जिसने दलितों के लिए कई ऐतिहासिक काम किये हैं.'
राहुल के इस पूरे भाषण से इतना तो साफ था कि अगर पर दलित वोट बैंक की राजनीति समझना चाहते हैं तो भौतिकी का ज्ञान जरूरी है, क्योंकि अगर आपको Escape Velocity नहीं मिली तो पूरा भाषण धरा का धरा रह जाएगा.
ट्विटर पर छा गई #EscapeVelocity
राहुल गांधी ने दलित सियासत पर भौतिकी ऐसा ज्ञान दिया कि ट्विटर का ट्रेंड ही बदल गया. जब राहुल बोलने वाले थे तो ट्रेंड में था...#PeoplesRahul और #RahulGandhi. भाषण खत्म होते ट्विटर की दुनिया का ऐसा मिजाज बदला कि राहुल की #EscapeVelocity ट्रेंड में सबसे ऊपर आ गई. पर कांग्रेस उपाध्यक्ष के लिए दुख की बात यही थी कि ज्यादातर ट्वीट उनके भाषण का मजाक उड़ाते हुए लिखे गए थे. पर चुनावी मौसम में यह तो साफ है कि ट्विटर के #Raga अब माहौल बनाने में #NaMo से पीछे नहीं.