क्या हिमालय के अंदर की हलचल हिंदुस्तान में बर्बादी का सबब बन सकती है, ये सवाल वैज्ञानिकों को परेशान किए हुए है. हिमालय की हलचल को लेकर चिंता बढ़ने के पीछे बार-बार आ रहे बड़े भूकंप हैं. पिछले साल अप्रैल में नेपाल में आए जोरदार भूकंप के बाद से हिंदुकुश में भूकंप के झटके बढ़े हैं तो वहीं, मणिपुर में हाल ही में आए 6.7 तीव्रता के भूकंप से हुई तबाही ने लोगों को दहला दिया है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, हिमालय के पहाड़ों में ये कोई आखिरी भूकंप नहीं है अभी हिमालय में और बड़े भूकंप पल रहे हैं. भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल और असम में एक बड़े भूकंप की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. हिमालय की खूबसूरत वादियों और पहाड़ों में कभी भी बड़े भूकंप से बर्बादी फैल सकती है.
बड़ा खतरा लेकर आएगा ये भूकंप!
एनआईडीएम के कार्यकारी निदेशक संतोष कुमार ने कहा, 'भारतीय हिमालय के तीनों हिस्सों पश्चिमी हिमालय, मध्य हिमालय और पूर्वी हिमालय में बड़ा भूकंप कभी भी दस्तक दे सकता है. सीस्मिक गैप की थ्योरी के आधार पर वैज्ञानिक कश्मीर, हिमालय के कांगड़ा और उत्तराखंड में बड़े भूकंप के दोहराव की आशंका जता रहे हैं. ये भूकंप छोटा नहीं बल्कि इसकी तीव्रता 8 से भी ज्यादा तेज हो सकती है.'
प्लेट टेक्टॉनिक थ्योरी के मुताबिक, इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है और इस वजह से हिमालय की ऊंचाई लगातार बढ़ रही है. पूरे हिमालय क्षेत्र में कई फॉल्ट जोन हैं और प्लेट मूवमेंट के साथ ही इनमें झटके आते हैं और इस वजह से पूरे हिमालय क्षेत्र में भूकंप आते रहते हैं. कुछ ऐसा ही नेपाल में आए जोरदार भूकंप के दौरान भी हुआ. मणिपुर में आया भूकंप भी ऐसी ही गतिविधि का हिस्सा है. लेकिन खास बात ये है कि हिमालय के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर बड़े भूकंप आए हुए एक अर्सा हो गया है. इन इलाकों में भूकंप की संभावना बढ़ी हुई है.
मणिपुर में भूकंप के बाद बढ़ी खतरे की आशंका
राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के डायरेक्टर विनीत गहलोत ने बताया कि 1905 में कांगड़ा में 7.8 तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया था. 1950 में असम में 8.6 की तीव्रता का भूकंप रिकॉर्ड किया गया. इसके बाद 2005 में पीओके के मुजफ्फराबाद में 7.6 तीव्रता भूकंप आया. हाल ही में 25 अप्रैल 2015 को नेपाल में 7.8 की तीव्रता के भूकंप के बाद भी लगातार ऑफ्टरसॉक्स का सिलसिला बना हुआ है. इन सबके बीच मणिपुर में 4 जनवरी, 2016 को 6.7 के परिमाण के भूकंप ने आशंका बढ़ा दी है.
ये ऐसे भूकंप हैं जिनके मद्देनजर ये कहना गलत नहीं होगा कि हिमालय में और भी बड़े भूकंप की संभावना है. भूकंप आने को रोका नहीं जा सकता है लेकिन इससे बचने के लिए उपाय किए जा सकते हैं. पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इस सच्चाई से वाकिफ हैं लिहाजा इस बात की कोशिश लगातार जारी है कि कैसे भूकंप की सही-सही भविष्यवाणी की जा सके.
अगर बड़ा भूकंप आया तो इन इलाकों का क्या होगा?
उत्तर भारत का सबसे बड़ा डर ये है कि अगर बड़ा भूकंप आया तो क्या होगा. जानकारों के मुताबिक अगल हिमालय में 8 या इससे ऊपर का भूकंप हिमाचल या उत्तराखंड के पहाड़ों में आया तो दिल्ली समेत मैदानी इलाकों में भारी तबाही मचेगी. जानकारों का मानना है कि भूकंप की भविष्यवाणी तो नहीं हो सकती. लिहाजा भूकंप से बचने की तैयारी ही बचाव है.
तो कुछ सेकेंड में ही दिल्ली पहुंच जाएगी आफत!
वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूकंप आने पर दो तरह की वेव चलती हैं. पी वेव और एस वेव. पी वेव धरती के नीचे सीधे-सीधे चलती हैं और एस वेव धरती की सतह पर चलती हैं. एस वेव यानी सरफेस वेव से सबसे ज्यादा नुकसान होता है, लेकिन इनके चलने की रफ्तार 4 किलोमीटर प्रति सेकेंड होती है. लिहाजा हिमालय में बड़ा भूकंप आने की स्थिति में दिल्ली समेत तमाम इलाकों को 40 से 50 सेकेंड में भूकंप की लहर तबाही पहुंचाने के लिए पहुंच जाएगी. यानी देश में बड़े भूकंप का हमेशा ही खतरा है.
भूकंप के आने की स्थिति में क्या करें-
- यदि घाव या खरोंचे हैं तो प्राथमिक उपचार अवश्य कराएं.
-सड़क और गलियों को आपातकालीन वाहनों के आने-जाने के लिए साफ रखें.
- रेफ्रिजरेटर, टीवी गैस आदि को बंद कर दें.
-अपने पैरों की सुरक्षा के लिए जूते पहनें.
- ट्रांजिस्टर रेडियो से समाचार सुनते रहें. जिससे भूकंप के बारे में जानकारी मिलती रहे.
- क्षतिग्रस्त क्षेत्रों और बिल्डिंगों के आसपास भीड़ ना लगाएं.
- पानी को व्यर्थ नष्ट न होने दें. इसकी अति आवश्यकता आग बुझाने में होगी.
- अफवाहें न फैलाएं. इससे डर और अव्यवस्था फैलती है.