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दंतेवाड़ा अभियान की योजना में थी कमी: चिदंबरम

गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि माओवादियों ने पिछले महीने दंतेवाड़ा के जिस अभियान के दौरान 76 सीआरपीएफ जवानों की जान ले ली, वहां बल के शीर्ष अधिकारियों ने बिना सोचे समझे योजना बनायी.

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गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि माओवादियों ने पिछले महीने दंतेवाड़ा के जिस अभियान के दौरान 76 सीआरपीएफ जवानों की जान ले ली, वहां बल के शीर्ष अधिकारियों ने बिना सोचे समझे योजना बनायी.

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चिदंबरम ने बुधवार रात जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक सेमिनार में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, ‘दंतेवाड़ा की घटना के बाद मेरा मन अत्यंत खिन्न हो गया. मैंने हिम्मत नहीं हारी. मुझे नक्सलियों का कोई डर नहीं है. एक आईजी, दो डीआईजी तथा एक एसपी ने बिना सोचे समझे बिना किसी योजना के मुआयने के लिए 76 जवानों को भेजा.’

उन्होंने कहा कि इस हमले का मतलब था कि देश किसी विरोधी का सामना कर रहा है, जो संगठित है. विकास के मुद्दों के बारे में चिदंबरम ने कहा, ‘दंतेवाड़ा में एक पुलिस स्टेशन है, जिसमें केवल दो पुलिसकर्मी हैं. जब कोई पुलिसकर्मी वहां नहीं जाना चाहता तो आप कैसे अपेक्षा कर सकते हैं कि एक शिक्षक या एक बीडीओ वहां जाए.’

मंत्री ने कहा, ‘लोकतंत्र में वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है लेकिन जब वे हथियार उठाते हैं तो विवाद पैदा होता है.’ उन्होंने कहा कि नक्सलियों के मकसद को लेकर कोई संदेह नहीं है. उन्होंने कहा, ‘उनका मकसद सशस्त्र संघर्ष से राजनीतिक सत्ता हथियाना है. जो कि कुछ शर्तों के तहत स्वीकार्य है. औपनिवेशिक देश इस रास्ते को अपनाते हैं. {mospagebreak}

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यहां तक कि भारत में भी ब्रिटिश को बाहर निकालने के लिए यह सशस्त्र संघर्ष दिखाई दिया.’ चिदंबरम ने कहा, ‘ऐसे हालात तब होते हैं जब आप आंदोलित या निराश होते हैं. मैं एक पिछड़े लोकसभा क्षेत्र से आता हूं. विकास अभी वहां शुरू हुआ है. यदि सभी के पास हथियार उठाने की जायज वजह हो तो इस देश का क्या होगा.’ गृह मंत्री ने कहा, ‘पश्चिम मिदनापुर में पहले पुलिस कार्रवाई की जरूरत है. गढ़चिरोली में सुरक्षा बलों ने जिले की सुरक्षा की. उड़ीसा मिली जुली स्थिति में है, हमने झारखंड में प्रगति की है.’

उन्होंने कहा, ‘माओवादियों को पता है कि विकास उनके लिए खतरा है, इसलिए वे स्कूलों को तहस नहस करते हैं, 2009 में 71 स्कूल उड़ा दिये गये, वे सड़कों में विस्फोट करते हैं, पुल उड़ाते हैं. मुखबिरी के नाम पर ग्रामीणों को मारा जा रहा है.’ नक्सलियों को मिलने वाले हथियारों के स्रोत के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्री ने कहा कि म्यामां में अवैध हथियारों का बड़ा बाजार है. {mospagebreak}

उन्होंने कहा कि अन्य स्रोतों में देसी हथियार हैं तथा सुरक्षा बलों से लूटे गये हथियार हैं.’ नक्सल समस्या के लिए गलत विकास नीतियों के जिम्मेदार होने के सवाल पर गृह मंत्री ने कहा, ‘हमें हटाओ. दूसरी सरकार चुनिये. गणपति और किशनजी को सत्ता में आने दो और नीतियों को बदलने दो. लेकिन हथियार नहीं उठाये जाएं.’

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सरकार इस मामले में श्रीलंका की तरह रणनीति क्यों नहीं अपना रही, इस पर उन्होंने कहा, ‘हम नक्सलियों को दुश्मन नहीं बल्कि विरोधी मानते हैं. उनकी नीति गलत है. हमारा मानना है कि इलाकों की सुरक्षा के लिए पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बल पर्याप्त हैं. श्रीलंका ने ऐसा किया लेकिन हमारे लोकतांत्रिक मूल्य अलग हैं और मेरा मानना है कि सेना और वायु सेना का इस्तेमाल करना सही नहीं है.’

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