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अधिकारियों पर गिरी दंतेवाड़ा की घटना की गाज

दंतेवाड़ा में माओवादियों द्वारा सीआरपीएफ जवानों की हत्या किए जाने की घटना के बाद इसकी पहली गाज शुक्रवार को उपमहानिरीक्षक नलिन प्रभात और दो अन्य अधिकारियों पर गिरी.

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दंतेवाड़ा में माओवादियों द्वारा सीआरपीएफ जवानों की हत्या किए जाने की घटना के बाद इसकी पहली गाज शुक्रवार को उपमहानिरीक्षक नलिन प्रभात और दो अन्य अधिकारियों पर गिरी. इन तीनों को दंतेवाड़ा की घटना में कथित तौर पर उनकी ओर से हुई चूक के लिए छत्तीसगढ़ से हटाकर दूसरी जगह तैनात कर दिया गया है.

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सीआरपीएफ के महानिदेशक विक्रम श्रीवास्तव ने बताया कि यह फैसला ई राममोहन समिति की रिपोर्ट और सीआरपीएफ द्वारा कराई गई कोर्ट ऑफ इंक्वायरी पर विचार करने के बाद किया गया. 1993 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी 42 वर्षीय प्रभात के अलावा जिन दो अन्य अधिकारियों को हटाया गया है उनमें कमांडेंट ए के बिष्ट और इंस्पेक्टर संजीव बांगरे शामिल हैं.

प्रभात अब चंडीगढ़ में पदस्थापित होंगे. वहां का प्रभार उनके पास से पहले से ही है. बिष्ट को उड़ीसा के अराडी स्थित प्रशिक्षण केंद्र भेज दिया गया है. बांगरे को कश्मीर के अनंतनाग में स्थानांतरित कर दिया गया है. श्रीवास्तव ने कहा कि इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ एक अलग कोर्ट ऑफ इंक्वायरी गठित की गई है जिसकी अध्यक्षता महानिरीक्षक रैंक के अधिकारी करेंगे. सीआरपीएफ डीजी ने बताया कि प्रभात की जगह आर एस सहोटा लेंगे. वहीं, अशोक स्वामी 62वीं बटालियन के कमांडेंट बनेंगे.

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बस्तर क्षेत्र के सीआरपीएफ महानिरीक्षक रमेश चंद्रा भी कोर्ट आफ इंक्वायरी का सामना करेंगे. चंद्रा गत 30 अप्रैल को पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. राममोहन समिति ने गत छह अप्रैल की घटना की जांच की थी. इसमें दंतेवाड़ा जिले में चिंतलनार में नक्सलियों ने 75 सीआरपीएफ जवानों तथा छत्तीसगढ़ पुलिस के एक जवान की हत्या कर दी थी.

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