दार्जिलिंग में गोरखालैंड आंदोलन को 5 दिन पूरे हो गए हैं. गोरखा जन मुक्ति मोर्चा पार्टी प्रमुख बिमल गुरुंग के निवास और दफ़्तर पर गुरुवार को पुलिस ने छापे मारे, जिसके बाद से ही जीजेएम प्रमुख अंडरग्राउंड हो गए हैं. दार्जिलिंग में इसके बाद से अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया गया है.
छापेमारी के बाद जेजेएम के कार्यकर्ता और समर्थक सड़कों पर उतर आए. कुछ जगहों पर उन्होंने गाड़ियों में आग लगा दी. साथ ही सुरक्षाबलों पर पथराव भी किया. प्रदर्शनकारियों को काबू पाने के लिए कार्यकर्ताओं और समर्थकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. साथ ही आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए हैं. बता दें कि छापेमारी के दौरान पुलिस ने बिमल गुरूंग से जुड़े कुछ जगह पर तीरों और विस्फोटकों सहित वहां से 300-400 हथियार बरामद किए.
जीजेएम ने की केंद्र सरकार दखल की मांग
इस बीच, जीजेएम के एक प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री से मुलाकात की. उन्होंने केन्द्र सरकार से हिंसा प्रभावित जिले में सामान्य हालात बहाल करने हेतु दखल देने की मांग की है. इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर से बिमल गुरुंग के समर्थकों को एक निडर चेतावनी दी. इस मोर्चा के चलते मुख्य रूप से पर्यटकों के ऊपर असर पड़ रहा है. अधिकतर पर्यटक पहाड़ों को छोड़कर जा चुके हैं और इस वजह से होटल खाली हैं. इस सब के चलते व्यवसाय पर भी बुरा असर पड़ रहा है
जीजेएम के महासचिव ने ममता सरकार पर लगाया आरोप
जीजेएम के महासचिव रोशन गिरि ने कहा कि राज्य सरकार चुन-चुन कर निशाना बनाने की राजनीति कर रही है. उन्होंने कहा कि पुलिस और राज्य सरकार हमें पहाड़ी क्षेत्र में अनिश्चितकालीन बंद बुलाने पर मजबूर कर रहे हैं. राज्य सरकार की क्रूरता के बारे में हम केन्द्र को सूचित करेंगे. हमने पहाड़ी में आज से अनिश्चितकालीन बंद का आहवान किया है. उन्होंने कहा कि पुलिस और राज्य सरकार हमारे खिलाफ झूठे मुकदमे दायर करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया, पहाड़ी में मौजूदा हालात राज्य सरकार के पैदा किये हुए हैं. वे पुलिस बल का प्रयोग करके हमें दबाना चाहते हैं. जीजेएम ने पिछले चार दिन से पहाड़ में स्थित सरकारी और जीटीए कार्यालयों में अनिश्चितकालीन हड़ताल हुई थी. इसी पृष्ठभूमि में यह छापेमारी हुई है.
ये था पूरा ममाला
पश्चिम बंगाल के सभी स्कूलों में बंगाली पढ़ाए जाने को अनिवार्य किए जाने और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दार्जिलिंग दौरे के खिलाफ जेएमएम पूरे पहाड़ी इलाके में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रही है. जेएमएम की मांग है कि नेपाली को भाषा के रूप में पढ़ाया जाए या जरूरत हो तो हिंदी पढ़ाया जाए, लेकिन गोरखा जन मुक्ति मोर्चा ममता के निर्णय के बिल्कुल खिलाफ है.