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कोलकाता, दिल्ली के कॉलेजों में दाखिले के लिए दार्जिलिंग से निकलना टेढ़ी खीर

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने ऐलान किया है कि 23 जून को दार्जिलिंग के विभिन्न स्कूलों के लिए हड़ताल से 12 घंटे की छूट दी जाएगी. ये छूट इसलिए दी जा रही है कि स्कूल अपने हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों को दार्जिलिंग से बाहर भेज सकें.

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दार्जिलिंग में GJM की हड़ताल
दार्जिलिंग में GJM की हड़ताल

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गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) की हड़ताल का खामियाजा अब स्थानीय लोगों को, खास तौर पर छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है. बता दें कि दार्जिलिंग में एक ही कॉलेज है. हर साल यहां से कई छात्र 12वीं पास करने के बाद कोलकाता, दिल्ली, बंगलुरु जैसे शहरों के कॉलेजों में दाखिले के लिए आवेदन करते हैं. लेकिन हड़ताल के जारी रहने और परिवहन के साधन पूरी तरह ठप होने की वजह से इनके पास दार्जिलिंग से बाहर जाने के लिए कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में छात्र-छात्राओं ने पुलिस सुरक्षा और सरकारी ट्रांसपोर्ट की मांग की है.

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने ऐलान किया है कि 23 जून को दार्जिलिंग के विभिन्न स्कूलों के लिए हड़ताल से 12 घंटे की छूट दी जाएगी. ये छूट इसलिए दी जा रही है कि स्कूल अपने हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों को दार्जिलिंग से बाहर भेज सकें. GJM के मुताबिक सिर्फ स्कूलों के बसों और वाहनों को ही सड़क पर चलने की इजाजत दी जाएगी. GJM ने साफ किया है कि बाकी बंद पहले जैसे ही चलते रहेंगे और अन्य किसी वाहन को सड़क पर नहीं चलने दिया जाएगा.

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आजतक/इंडिया टुडे ने 12वीं कक्षा के इन छात्र-छात्राओं से बात की. सभी के माथे पर भविष्य की पढ़ाई को लेकर चिंता की लकीरें थीं. उनका कहना था कि कॉलेजों में प्रवेश के लिए वो निर्धारित समय तक नहीं पहुंचे तो उनके सारे सपने बिखर सकते हैं.

दार्जिलिंग में GJM के आह्वान पर अनिश्चितकालीन बंद का दूसरा हफ्ता चल रहा है. दार्जिलिंग में अब कोई सैलानी नहीं दिख रहा. यहां के स्थानीय लोगों को किसी आपातकालीन स्थिति के लिए बाहर जाना है तो उन्हें वाहन नहीं मिल रहे हैं. दार्जिलिंग में वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप है. ड्राइवर डरे हुए हैं कि अगर उन्होंने अपने वाहन सड़क पर निकाले तो उन्हें जला दिया जाएगा.

दार्जिलिंग के मशहूर 'चौक बाजार' में यात्रियों की लंबी कतार लगी थी लेकिन उन्हें शहर से बाहर जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिल रहा था. दाखिले का सीजन जब पीक पर है तो दार्जिलिंग के छात्र-छात्राओं को दोहरी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जहां शहर से बाहर जाने के लिए वाहन उपलब्ध नहीं हैं, वहीं वो दिल्ली जैसे शहरों के कॉलेजों की ऑनलाइन दाखिला प्रक्रिया में हिस्सा भी नहीं ले सकते क्योंकि दार्जिलिंग में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं स्थगित हैं.

बुधवार को जिला प्रशासन ने दो सरकारी बसों का इंतजाम किया, जो खचाखच भरी थीं. इन दो बसों पर सवार छात्र-छात्राओं और अन्य यात्रियों ने पुलिस स्टेशन पहुंच कर पर्याप्त सुरक्षा की मांग की. इनका कहना था कि सिलीगुड़ी और पश्चिम बंगाल के अन्य मैदानी इलाकों तक पहुंचने के लिए सुरक्षा मुहैया कराई जाए. दरअसल पश्चिम बंगाल में 23 जून से विभिन्न कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हो रही है.

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एक छात्रा ने आजतक/इंडिया टुडे को अपनी व्यथा सुनाई. इस छात्रा के मुताबिक कोलकाता के एक कॉलेज में उसे अपनी सीट गंवानी पड़ी क्योंकि हड़ताल की वजह से वो अपने दस्तावेज कॉलेज तक नहीं पहुंचा सकी. कई और छात्र-छात्राएं भी दुविधा में हैं क्योंकि दूसरे शहरों के कॉलेजों में दाखिले के लिए डेडलाइन हैं. ऐसे में इन्हें नहीं पता कि वो निर्धारित समय तक पहुंच भी पाएंगे या नहीं.

हड़ताल जारी रहने की वजह से छात्र-छात्राएं अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं. इन हालात में उन्होंने आजतक/इंडिया टु़डे के माध्यम से GJM से अपील की है कि वो हड़ताल में कुछ छूट दे जिससे कि वो दाखिले जैसी जरूरी प्रक्रिया को पूरा कर सकें.

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