दार्जिलिंग में भड़की हिंसा पर गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल पुलिस से रिपोर्ट मांगी है. गृह मंत्रालय ने 4 अर्धसैनिक बलों की कंपनी पहले और मंगलवार को 6 और CRPF की कंपनी भेजी हैं. इन 6 कंपनियों में से 2 महिला कंपनी को भी केंद्र ने दार्जिलिंग भेजा है.
इससे पहले गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा (GJM) के द्वारा दार्जिलिंग में बुलाए गए बंद के दौरान हिंसा भड़क गई. इस दौरान पुलिस ने GJM के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया. बताया जा रहा है कि जीजेएम समर्थकों ने मुंबई से आए कुछ पर्यटकों की गाड़ी को रोक दिया था, उनका कहना है कि जब तक उनके बंद का आह्वान है तब तक वहां पर कोई वाहन नहीं आने या जाने दिया जाएगा. बंद के कारण सभी बाजार, दुकानें बंद हैं, जिससे दैनिक जीवन पर भी काफी असर दिख रहा है.
'Bandh' by Gorkha Janmukti Morcha: #Visuals from Kalimpong and #Darjeeling, protesters baton charged. pic.twitter.com/MTcPbnQHrv
— ANI (@ANI_news) June 13, 2017
चंद्र कुमार बोस ने किया सपोर्ट
वहीं नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोत्र चंद्र कुमार बोस ने भी गोरखा लोगों के इस आंदोलन का समर्थन किया है. उनका कहना है कि गोरखाओं को उनका अधिकार मिलना चाहिए, उन्होंने नेताजी के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में संघर्ष किया था.
आपको बता दें कि गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा की ओर से सोमवार को ही अनिश्चितकालीन बंद का ऐलान किया था. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि पर्वतीय इलाके में अपने सियासी फायदे के लिए अलगाव की राजनीति से बाज आ जाए. इस बंद का असर दार्जिलिंग के अलावा कलिमपोंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुलदुअर जिले में भी असर दिख रहा है. हालात को काबू करने के लिए दो IG लेवल के ऑफिसर के साथ दार्जिलिंग के एसपी भी वहां मौजूद हैं.
क्यों भड़की हिंसा
बता दें कि पूरे बंगाल के स्कूलों में बंगाली पढ़ाए जाने को अनिवार्य किए जाने के कारण हिंसा भड़की थी. इस वजह से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दौरे के खिलाफ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा पूरे पहाड़ी इलाके में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रही है. बता दें कि इसी प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े ताकि प्रदर्शनकारियों को अलग-थलग किया जा सके. विरोध प्रदर्शन के चलते कई सारे पर्यटक पहाड़ी इलाकों में फंसे हुए थे.