सरकार अब ये आंकड़े जाहिर नहीं करेगी कि पुलिस महकमे में कितने मुस्लिम काम कर रहे हैं. यह पिछले 16 साल में पहली बार है जब गृह मंत्रालय ने इस तरह का कोई फैसला किया है. दिलचस्प है कि पहली बार 1999 में एनडीए सरकार के दौरान ही ये आंकड़े सार्वजनिक किए गए थे कि पुलिस में मुस्लिम समुदाय के कितने लोग थे.
कहां मिलती थी यह जानकारी
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में यह आंकड़ा दिया जाता था. इसमें सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोगों की ही अलग से जानकारी दी जाती थी. क्राइम इन इंडिया नाम की सालाना रिपोर्ट में पुलिस स्ट्रेंथ, एक्सपेंडिचर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर नाम का एक चैप्टर था, जिसमें यह आंकड़ा दिया जाता था.
पिछले कुछ वर्षों में गिरी है संख्या
पुलिस में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व साल 2007 से कम हो गया है. तब देशभर में पुलिस महकमे में 7.55 फीसदी मुस्लिम थे, जो 2012 में घटकर 6.55 फीसदी रह गए. 2013 में इनकी संख्या और कम होकर 6.27 फीसदी ही रह गई.
अब इसलिए नहीं बताई जाएगी संख्या
एनसीआरबी के मुख्य सांख्यिकी अधिकारी अखिलेश कुमार ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि पुलिस स्ट्रेंथ और इंफ्रास्ट्रक्चर का रिकॉर्ड प्रशासनिक मसला है. अब यह फैसला किया गया है कि इसके रिकॉर्ड सार्वजनिक न किए जाएं. एनसीआरबी की महानिदेशक अर्चना रामसुंदरम ने दावा किया कि यह फैसला एनसीआरबी पब्लिकेशन के परफोर्मा रिवीजन का हिस्सा है.