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लड़कियों पर लाठीचार्ज को लेकर स्वाति मालिवाल का पीएम को खत, VC की बर्खास्तगी की मांग

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में लड़कियों ने अपनी सुरक्षा का मुद्दा उठाया तो उनको सुरक्षा देने की बजाए उनपर लाठीचार्ज किया गया. यह बहुत दुखद घटना है.

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दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल

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दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. महिला आयोग की अध्यक्ष ने ये चिट्ठी गुरुवार को लिखी.

आदरणीय प्रधानमंत्री जी,

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में लड़कियों ने अपनी सुरक्षा का मुद्दा उठाया तो उनको सुरक्षा देने की बजाए उनपर लाठीचार्ज किया गया. यह बहुत दुखद घटना है.

लड़कियां गांव-कस्बों और छोटे-छोटे शहरों से बड़ी कठिनाइयों का सामना करके अपने परिवार को अपनी सुरक्षा का भरोसा दिलाकर अपना भविष्य बनाने के लिए बीएचयू, डीयू, जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए आती हैं. विश्वविद्यालयों में ही हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं रहेंगी तो बेटियां पढ़ने के लिए बाहर कैसे निकलेंगी. ऐसी स्थिति में सरकार का 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान कैसे सफल होगा.

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बीएचयू में हुई छेड़छाड़ की घटना पहली बार नहीं हुई थी, बल्कि काफी समय से लड़कियों के साथ इस तरह की घटनाएं हो रही थीं. उस शनिवार को कैंपस के अंदर लड़की के साथ छेड़छाड़ की गई और शिकायत करने के बाद भी बीएचयू प्रशासन ने उस समय कोई कार्रवाई नहीं की. लड़कियों की शिकायत पर जब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सुनवाई नहीं की तो वे अपनी आवाज यूनिवर्सिटी प्रशासन तक पहुंचाने के लिए धरने पर बैठ गईं. लेकिन उनकी शिकायतों का समाधान करने के बजाय उनपर लाठियां बरसाई गईं. इस घटना से मन कांप उठता है कि आखिर इतनी बेहरहमी से कैसे और क्यों निर्दोष लड़कियों पर लाठी बरसाई गईं. बहुत शर्म की बात है कि बीएचयू के वीसी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की बजाय उल्टा लड़कियों को ही जिम्मेदार ठहराया और मीडिया में गैर संवेदनशील बयान दिए.

एक यूनिवर्सिटी के वीसी के ऐसे बयानों से पूरे देश की छात्राओं का मनोबल टूटता है.बार-बार लड़कियों के साथ छेड़छाड़ सिर्फ बीएचयू की एक घटना नहीं है. पिछले एक सप्ताह में दिल्ली के दो कालेजों में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर बड़ी चूक हुई है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंबेडकर कालेज के करीब 500 स्टूडेंट्स कैंपस के आस पास सुरक्षित माहौल की मांग को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंच गए. क्योंकि इस कालेज के कैंपस के पास आए दिन लड़कियों के साथ छेड़छाड़ और छीना झपटी की घटनाएं होती रहती हैं. दूसरी घटना दिल्ली यूनिविर्सिटी कैंपस के अंदर खालसा कालेज में हुई, जहां कुछ लोगों ने गर्ल्स हॉस्टल में घुसने की कोशिश की.

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लड़कियों की सुरक्षा के मुद्दे साथ-साथ उनके साथ देशभर की यूनिवर्सिटीज़ व कॉलेजों में जो भी भेदभाव हो रहा है वो भी एक अहम मुद्दा है. दिल्ली के कई विश्वविद्यालय व कॉलेज लड़कियों के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार कर रहे हैं. दिल्ली में स्थित कई यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में लड़कियों के हॉस्टल का समय लड़को के हॉस्टल के समय से अलग है. जब दिल्ली महिला आयोग ने लड़कियों के साथ हो रहे भेदभाव का कारण पूछा तो कई यूनिवर्सिटी व कॉलेजों ने तर्क दिया कि लड़कियों की सुरक्षा के चलते उन्हें लड़कों की तुलना में जल्दी अपने हॉस्टलों में लौटने का नियम बनाया गया है. बड़े दुख की बात है कि आजादी के 70 साल बाद भी लड़कियों के साथ शिक्षा के सर्वोच्च संस्थानों में भेदभाव हो रहा है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही हिंदू कालेज में लड़कियों से लड़कों की तुलना में अधिक हॉस्टल फीस ली जा रही है. इसे लेकर लिए दिल्ली महिला आयोग ने यूजीसी से लेकर मानव संसाधान विकास मंत्रालय तक से लड़कियों के साथ हो रहे भेदभाव को खत्म करवाने की कोशिश की, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. अकसर देखा गया है कि जब लड़कियों द्वारा अपनी सुरक्षा को लेकर यूनिवर्सिटी व कॉलेज प्रशासन से मांग की जाती है तो लड़कियों पर ही भेदभावपूर्ण नियमों को थोपकर उन्हें हॉस्टलों में जल्दी आने का फरमान सुना दिया जाता है. कॉलेजों के कैंपसों में खुला एवं सुरक्षित माहौल देने की बजाय लड़कियों के लिए पिजंरा बनाया जा रहा है.

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कैंपस को सुरक्षित बनाने के लिए कई स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है. कैंपस के आसपास सीसीटीवी लगाने, पुलिस की पेट्रोलिंग बढ़ाना और सड़कों पर रोशनी करना अत्यंत आवश्यक है. सबसे जरुरी है कि यदि किसी लड़की के साथ छेड़छाड़ या दूसरी कोई अप्रिय घटना होती है तो यूनिवर्सिटी व कॉलेज प्रशासन को सख्त हिदायत हो कि ऐसे मामले दबाये नहीं बल्कि पीड़ित लड़कियों की मदद करें. लड़कियों के लिए दिल्ली के कैंपस-कॉलेजों में ही नहीं बल्कि देशभर के कैंपसों में सुरक्षित माहौल बनना चाहिए.

सर हम चाहते हैं कि-

1. बीएचयू के कैंपस में लड़कियों पर हुए लाठीचार्ज के लिए वाइस चांसलर को तुरंत बर्खास्त कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए एवं लड़कियों को सुरक्षा प्रदान की जाये.

2. दिल्ली नहीं बल्कि पूरे देश में लड़कियों और लड़कों के हॉस्टल की टाइमिंग को लेकर जो भेदभाव हो रहा है उसे तुरंत खत्म किया जाए. साथ ही इस पर राष्ट्रीय स्तर पर पॉलिसी बनाई जाए.

3. दिल्ली के हिंदू कॉलेज सहित देश की अन्य यूनिवर्सिटीज़ और कॉलेजों में लड़कियों के हॉस्टल फीस के भेदभाव को तुंरत खत्म किया जाए. इस पर राष्ट्रीय स्तर पर पॉलिसी बनाई जाए.

4. दिल्ली एवं देश भर की यूनिवर्सिटीज़ व कॉलेजों कैंपसों और उसके आस पास लड़कियों की सुरक्षा को लेकर पुलिस की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए.

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5. यदि किसी यूनिवर्सिटी एवं कॉलेज में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ या कोई अप्रिय घटना घटती है तो उसके लिए यूनिवर्सिटी या कॉलेज प्रशासन की जवाबदेही तय की जाए.

मुझे पूरी आशा है कि आप इन संवेदनशील मुद्दों पर तुरंत संज्ञान लेंगे, जिससे भारत सरकार के 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान को बल मिलेगा.

धन्यवाद

स्वाति

अध्यक्ष, दिल्ली महिला आयोग

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