डीडीसीए (दिल्ली जिला क्रिकेट संघ) ने हाई कोर्ट में कहा कि वह एक कंपनी है ऐसे में उनके कामकाज और बाकी की गतिविधियों पर नजर बनाए रखने के लिए किसी व्यक्ति या कमेटी को नियुक्त करना ठीक नहीं होगा. ऐसा केवल किसी ऐसी कंपनी के साथ किया जाना चाहिए जो नुकसान में हो. डीडीसीए के वकील संग्राम सिंह ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कंपनी एक्ट के तहत उनके कामकाज को देखरेख करने के लिए एक पूरा तंत्र है. ऐसे में किसी पर्यवेक्षक की नियुक्ति की कोई जरुरत ही नहीं है.
कोर्ट डीडीसीए की 2010 में दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में मैचों के आयोजन के लिए साउथ दिल्ली एमसीडी से प्रमाणपत्र दिलवाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था. कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने साफ कहा कि जब तक वह अपना फैसला नहीं सुनाते तब तक रिटायर्ड जस्टिम मुकुल मुदगल डीडीसीए के पर्यवेक्षक बने रहेंगे.
कोर्ट ने कहा कि प्रमाण पत्र के लिए निर्देश देना काफी पेचीदा मामला है. क्योंकि स्टेडियम, आरपी मेहरा ब्लॉक जहां पर अवैध निर्माण का आरोप है, संरक्षित स्मारक के नजदीक है. कोर्ट ने कहा कि चुनाव से पहले डीडीसीए में सुधार की जरूरत है. भाई-भतीजावाद का आरोप लगाते हुए दिल्ली सरकार ने डीडीसीए के रोजाना के काम पर नजर रखने के लिए एक कमेटी बनाने का आग्रह किया था. सरकार ने मांग की थी कि डीडीसीए मे फंड की बर्बादी हो रही है और इसकी सीबीआई जांच करवाई जानी चाहिए. हाई कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस मुकुल मुद्गल कमेटी को डीडीसीए का पर्यवेक्षक बनाया था.