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रेप‍िस्ट टीचर को 2 मार्च को फांसी, 4 साल की मासूम से की थी दरिंदगी

Death Warrant of Rapist मध्य प्रदेश के सतना में 4 साल की मासूम के रेप के आरोपी को न‍िचली अदालत के बाद अब हाई कोर्ट से भी मौत की सजा सुना दी गई है. आरोपी श‍िक्षक को 2 मार्च को फांसी दी जाएगी.

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पुल‍िस ग‍िरफ्त में आरोपी (Photo:aajtak)
पुल‍िस ग‍िरफ्त में आरोपी (Photo:aajtak)

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एक श‍िक्षक ने  4 साल की मासूम को पहले घर से अगवा क‍िया और फ‍िर उसके साथ दुष्कर्म क‍िया. मासूम को मरा समझ वह उसे वहीं छोड़कर चला गया. बच्ची की नाजुक हालत की वजह से उसे एयरल‍िफ्ट कर सतना से द‍िल्ली ले जाया गया था. इस मामले में आरोपी के डेथ वारंट पर साइन हो गए हैं. 2 मार्च को उसे फांसी पर लटकाया जाएगा.

मध्य प्रदेश में सतना ज‍िले के परसमनिया गांव में 4 साल की एक मासूम के दुष्कर्मी महेन्द्र सिंह गोंड़ को 2 मार्च को सुबह 5 बजे जबलपुर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय कारागार में फांसी दी जाएगी. इस मामले में निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा एमपी हाईकोर्ट द्वारा बरकरार रखे जाने के बाद शनिवार को दिनेश शर्मा की अदालत ने दुष्कर्मी का डेथ वारंट जारी कर दिया.

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अदालत ने जबलपुर के सेंट्रल जेल अधीक्षक को भेजे डेथ वारंट में 27 साल के दुष्कर्मी महेन्द्र सिंह गोंड़ को 2 मार्च को सुबह 5 बजे फांसी पर तब तक लटकाए रखने के आदेश दिए हैं, जब तक कि उसकी मौत न हो जाए. अदालत ने वारंट की तामील करते हुए सूचित किए जाने के भी आदेश दिए हैं.

मासूम को एयरल‍िफ्ट करके द‍िल्ली ले जाया गया था .

गौरतलब है, उचेहरा थाना क्षेत्र के परसमनिया में पिछले साल 1 जुलाई 2018 की रात 4 साल की एक मासूम को अगवा कर दुष्कर्म करने के आरोप में महेन्द्र सिंह गोंड़ को गिरफ्तार किया गया था. परसमनिया पीडि़ता की हालत नाजुक होने पर घटना के दूसरे दिन ही तत्कालीन कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात कर पीड़‍िता को यहां से एयरलिफ्ट कराते हुए नई दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया था. परसमनिया रेप कांड में तेजी से विवेचना की थी.

जिला न्यायालय के पीआरओ फखरुद्दीन ने बताया कि सतना के परसमनिया कांड से मशहूर मामला ज‍िसमें  संविदा शिक्षक द्वारा चार साल की मासूम के साथ बलात्कार किया गया था जिसमें उसे गंभीर चोटें आई थीं. इसके बाद शासन ने एसआईटी गठ‍ित की. यह घटना 1 जुलाई 2018 की है. 3 अगस्त को जिला सत्र न्यायाधीश के समक्ष चार्जशीट दाखिल की गई और 4 तारीख से सत्र न्यायालय नागौद में सुनवाई शुरू हुई. 16 अगस्त को सुनवाई समाप्त हो गई और 19 अगस्त को फैसला सुनाया गया जिसमें आरोपी को मृत्युदंड की सजा दी गई. जिसकी अपील आरोपी द्वारा की गई थी.

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वारदात के 81 दिन के अंदर पुलिस विवेचना हुई और कोर्ट का फैसला भी आ गया था. कोर्ट ने 47 दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुना दिया था. अपर सत्र न्यायाधीश दिनेश शर्मा की अदालत ने आरोप प्रमाणित पाए जाने पर महेन्द्र को 19 सितंबर 2018 फांसी की सजा सुनाई थी.

हाई कोर्ट  ने आरोपी की याचिका को खारिज करते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा. 2 फरवरी को नागौद न्यायालय ने डेथ वारंट जारी कर दिया है. जिसके संबंध में 2 मार्च को सुबह 5 बजे जबलपुर सेंट्रल जेल में फांसी की सजा मुकर्रर की गई है. अभी भी आरोपी के पास ऑप्शन है कि वह सुप्रीम कोर्ट और माननीय राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका लगा सकता है.

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