सोमवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने एक अहम फैसला सुनाया है, इस फैसले में मच्छर के काटने से हुई मौत को एक दुर्घटना करार दिया है. आमतौर पर बीमा कंपनियां इस तरह के मामले में क्लेम देने से इंकार करती है. जस्टिस वीके जैन ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि चूंकि मच्छर का काटना अचानक (एक्सिडेंटल) होता, इस वजह से मच्छर के काटने से हुई बीमारी से मौत भी दुर्घटना मानी जाए. आदेश में ये कहा गया कि चूंकि बीमा कंपनी की वेबसाइट में सांप, कुत्ते के काटने से हुई मौत को एक्सीडेंट माना गया है, तो ऐसे में मच्छर के काटने से हुई मौत को भी बीमारी नहीं एक्सीडेंट ही माना जाए.
इस मामले में याचिका दायर करने वाले कोलकाता निवासी मौसमी ने पति देबाशीष ने बैंक ऑफ बड़ौदा से आवास ऋण लिया था, उन्होंने इसका बीमा नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से कराया था, वहीं मौत होने की स्थिति में कंपनी ने बीमा राशि प्रदान किए जाने की बात कही थी. जनवरी 2012 में देबाशीष की मौत हो गई पर जब मौसमी ने बीमा कंपनी का दरवाजा खटखटा कर आवास ऋण की राशि खत्म कराने की गुजारिश की तो उसकी अर्जी ठुकरा दी गई, कंपनी ने कहा कि मौत मच्छर के काटने से हुई बीमारी की वजह से हुई है ऐसे में इसे दुर्घटना नहीं कहा जा सकता.
इसके बाद मौसमी ने फरवरी 2014 में पश्चिम बंगाल के जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की थी, तो फोरम ने मौसमी के पक्ष में फैसला दिया. इसके खिलाफ बीमा कंपनी ने पश्चिम बंगाल उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां पर भी फरवरी में अपील खारिज कर दी गई. जिसके बाद बीमा कंपनी ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) पहुंची पर यहां भी मुकदमें मे हार झेलनी पडी. जाहिर है इस मामले से मच्छर के काटने से हुई मौतों के मामले में अब बीमा रकम मिलने में बड़ी राहत मिलेगी.
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