दिल्ली दुष्कर्म के आरोपियों के लिए मृत्युदंड की जोरदार मांग उठने के बीच भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मंगलवार को कहा कि किसी भी मामले में मृत्युदंड मानवाधिकारों पर वैश्विक घोषण के विरुद्ध है.
महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर काबू पाने के लिए कानूनी प्रावधान कड़े किए जाने पर एनएचआरसी द्वारा आयोजित विमर्श से इतर एनएचआरसी के अध्यक्ष के.जी. बालकृष्णन ने कहा, 'किसी भी मामले में मृत्युदंड मानवाधिकारों पर वैश्विक घोषणा के विरुद्ध है.'
हालांकि उन्होंने दिल्ली दुष्कर्म के मामले में मृत्युदंड का पक्ष लेने या नहीं लेने पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. महिलाओं की रक्षा के लिए कानून के बारे में उन्होंने कहा कि कानून तो है, लेकिन समस्या उनके लागू होने को लेकर है.
उन्होंने कहा, 'केवल महिलाओं के खिलाफ हिंसा से संबंधित मामले ही नहीं, बल्कि सभी तरह के मामलों की सुनवाई में कानूनी आधारभूत ढांचा की कमी के कारण देरी हो रही है.'
मृत्युदंड को खत्म करने की वकालत करने वाले मानवाधिकार पर वैश्विक घोषणा पत्र को संयुक्त राष्ट्र आमसभा ने 1948 में स्वीकार किया गया था.