उत्तराखंड में भयंकर बारिश और विनाशकारी बाढ की चपेट में आकर अब तक 207 लोगों की मौत हो चुकी है. केन्द्र सरकार ने राज्य में राहत और बचाव कार्यों के लिए शुक्रवार को एक पूर्व शीर्ष नौकरशाह को नोडल अधिकारी नियुक्त किया.
केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने कहा कि अब तक 207 लोग जान गंवा चुके हैं, जबकि 50 हजार लोग राज्य के सुदूरवर्ती और अलग-अलग इलाकों में अभी भी फंसे हुए हैं.
उन्होंने राहत और बचाव कायो को लेकर घंटे भर की समीक्षा बैठक के बाद कहा, 'मृतकों की संख्या बढ सकती है क्योंकि कई जगहों पर मलबा अभी साफ किया जाना है. हमने उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों से 34 हजार लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है लेकिन 50 हजार लोग अभी भी फंसे हुए हैं. फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए हमारे प्रयास जारी हैं.'
शिन्दे ने कहा कि ऐसा लगता है कि राहत और बचाव अभियान में लगी तममा एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव है और इससे सरकार के प्रयासों पर असर पड रहा है.
उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने तय किया है कि राहत और बचाव अभियान में समन्वय के लिए पूर्व गृह सचिव वी के दुग्गल को नोडल अधिकारी बनाया जाए. वह शनिवार से देहरादून से अपना काम शुरू करेंगे.
समीक्षा बैठक में गृह, रक्षा, खाद्य, सड़क परिवहन मंत्रालयों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण आदि के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. बैठक में तय किया गया कि प्रभावित लोगों को सभी तरह की बुनियादी सुविधाएं और सामग्री मुहैया कराकर राहत देने के सभी प्रयास किए जाएंगे.
शिंदे राहत और बचाव कार्यों का जायजा लेने के लिए शनिवार को उत्तराखंड जाएंगे. उन्होंने कहा कि बचाव कार्यों में 34 हेलीकॉप्टर लगाये गए हैं और जरूरत पडी तो और हेलीकॉप्टरों की तैनाती की जाएगी.
हेलीकाप्टरों के सुचारू परिचालन के लिए सरकार ने देहरादून के जालीग्रांट हवाई अडडे के अलावा दो-तीन और जगहों पर ईंधन डिपो बनाए हैं. शिन्दे ने इस आरोप से इंकार किया कि राष्ट्रीय आपदा रेस्पांस बल (एनडीआरएफ) की बचाव टीमें घटनास्थल पर देर से पहुंची.
उनहोंने कहा कि थलसेना, भारतीय वायुसेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और अन्य संगठनों के अलावा एनडीआरएफ के लगभग 450 कर्मी बचाव कार्यों में लगे हैं.
समीक्षा बैठक में शामिल हुए एनडीएमए के उपाध्यक्ष एम शशिधर रेडडी ने कहा कि बैठक में उत्तराखंड की तबाही को 'राष्ट्रीय आपदा' घोषित करने के बारे में कोई फैसला नहीं किया गया.