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ज्‍यादा कर्ज के कारण मं‍दी की स्थिति: रघुराम राजन

इंडिया टुडे कॉनक्‍लेव अपने 12वें साल में प्रवेश कर चुका है. इसके पहले दिन केंद्र सरकार के मुख्‍य आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन ने कहा कि कर्ज की अधिकता के कारण ही विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था में डांवाडोल की स्थिति आई है.

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रघुराम राजन
रघुराम राजन

इंडिया टुडे कॉनक्‍लेव अपने 12वें साल में प्रवेश कर चुका है. इसके पहले दिन केंद्र सरकार के मुख्‍य आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन ने कहा कि कर्ज की अधिकता के कारण ही विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था में डांवाडोल की स्थिति आई है.

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'Global Economy: Fault lines or free fall?' विषय पर बोलते हुए राजन ने कहा कि कम ब्‍याज दर और पैसे ज्‍यादा खर्च करने से यह चक्रीय मंदी खत्‍म की जा सकती है लेकिन दिक्‍कत इससे कुछ ज्‍यादा बड़ी है.

उन्‍होंने कहा कि आप अर्थव्‍यवस्‍था को सुधारने के लिए हमेशा नियमों में बंधे नहीं रह सकते. कभी-कभी आपको त्‍वरित डेंट-पेंट करना पड़ता है लेकिन जैसे ही आप उस पेंट को हटाएंगे आपका विकास धड़ाम से गिर पड़ेगा. भारत पर पड़ रहे प्रभाव की ओर ध्‍यान दिलाते हुए उन्‍होंने कहा कि यह एक मिथ ही है कि इस स्‍लोडाउन से विकासशील देशों की बाजारों को कोई दिक्‍कत नहीं होगी. पश्चिम और जापान जैसे औद्योगिक देशों को ही नहीं विकासशील देश के बाजारों को भी अपने वित्त मॉडल बदलने की जरूरत है.

सामान्‍य रूप से यह है कि औद्योगिक देश विकास को बढ़ाने के नए स्रोत ढूंढ रहे हैं, जो उन्‍हें भारत, मेक्सिको, ब्राजील और इनके जैसे ही विकासशील देश के बाजारों में दिख रहा है.

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राजन ने कहा कि कामगारों को लेकर भारत की सबसे बड़ी विशेषता ही इसकी सबसे बड़ी विषमता है. भारतीय मजदूर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह देश की सबसे मजबूत कड़ी है लेकिन धरातल में देखें तो पता चलता है कि हमारे पास सबसे कम संगठित कामगार हैं. यह द्विभाजन दूर होना ही चाहिए.

सरकार के मुख्‍य आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन ने कहा कि नवरचना के लिए हमें शिक्षा, खर्च, विकास के तरीके जैसी चीजों पर बहस करने की जरूरत है. हमें पुराने उद्योगों को छोड़कर नए तकनीकों पर ध्‍यान देने की जरूरत है.

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