2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में कोर्ट अपना फैसला 25 अगस्त से 5 सितम्बर के बीच में सुना सकती है. सीबीआई के स्पेशल जज ओ. पी. सैनी को 15 जुलाई तक फैसला सुनाना था लेकिन कोर्ट ने अब इसे बढ़ाकर 25 अगस्त से 5 सितम्बर के बीच कर दिया है. इसके पीछे कोर्ट ने दो वजहें बताई हैं.
एक तो यह कि 5 जुलाई तक सभी आरोपियों को केस से जु़ड़ा ओबजेक्शन फाइल करना है. दूसरी वजह यह बताई गई है कि कि इस हाई प्रोफाइल केस में कोर्ट करीब 10 हजार पेज से ऊपर का जजमेंट तैयार कर रहा है और इतने बडें जजमेंट को लिखवाने के लिए कुछ और समय की जरूरत है. लिहाजा कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाने के लिेए कुछ और वक्त लिया है.
2 जी केस मे कुल 17 आरोपी है. जिनमें 14 लोग और तीन कंपनी शामिल हैं. जिनमें करुनानिधि की बेटी कनिमोझि, पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, फिल्म प्रोड्यूसर करीम मोरानी भी शामिल हैं. इस हाई प्रोफाइल केस में तबतक किसी भी आरोपी को जमानत नहीं मिला था जब तक कि इस मामले मे चार्जशीट दाख़िल नहीं हो गई थी. ये मामला 2010 मे सीएजी की रिपोर्ट के बाद सामने आया था.
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आरोपियों द्वारा लिखित जवाब देने की समय सीमा 5 जुलाई को खत्म हो गई है. पटियाला हाउस कोर्ट ने आरोपी और सीबीआई की ओर से दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के राज्यसभा सदस्य कनिमोझी के खिलाफ मुकदमा चल रहा है.
इस केस के सबसे अहम आरोपी ए राजा ने कोर्ट को दिए अपनी सफाई में कहा था कि स्पेक्ट्रम देने का फैसला कैबिनेट और पीएम ने लिया था. पहले आओ, पहले पाओ नियम सरकार की थी, मेरी नहीं. इसके अलावा नए लोगों को स्पेक्ट्रम देने का मक्सद मार्किट में कॉम्पिटिशन बढ़ाना था जिससे मोबाइल ज़यादा से ज़यादा लोग इस्तेमाल कर सकें.